सुप्रीम कोर्ट ने साल 1995 में छपरा के मशरख में हुए डबल मर्डर केस में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही मृतकों के परिजनों को 10 लाख और घायलों के घर वालों को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने ऐसा केस पहली बार देखा है।
दरअसल, प्रभुनाथ सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 28 साल पहले अपने कहे के अनुसार वोट नहीं डालने पर पोलिंग बूथ के पास ही 2 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद मृतक के भाई ने सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई लड़ी।
लाइव लॉ के मुताबिक इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच में हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस कौल ने बचाव पक्ष के वकील से सवाल किया कि वो प्रभुनाथ सिंह के लिए उम्रकैद या मृत्युदंड में से कौन सा विकल्प चुनना चाहेंगे। साथ ही अदालत ने प्रभुनाथ सिंह की उम्र पूछी।
इसके जवाब में प्रभुनाथ सिंह की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि उनके मुवक्किल की उम्र 70 साल है। तब जस्टिस कौल ने कहा, “तब तो भगवान ही मालिक है।” जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि ऐसा मामला उन्होंने पहली बार देखी है। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा दी।
बताते चलें कि इस केस में पटना की एक अदालत ने साल 2008 में प्रभुनाथ सिंह को दोषमुक्त करार दिया था। इसके बाद साल 2012 में पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाई थी। हालाँकि, मृतक के परिजन ने अपनी लड़ाई जारी रखी और फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई 18 अगस्त को पूरी हो चुकी थी।
आखिरकार 1 सितंबर 2023 (शुक्रवार) को अदालत ने प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुना दी गई। अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले में पुनर्विचार याचिका दायर होने का भी तर्क दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बाद में चैंबर में देखने का आदेश दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितम्बर को बिहार के गृह सचिव और DGP को प्रभुनाथ सिंह को अदालत में पेश करने का आदेश जारी किया था।
किस मामले में हुई सजा
यह मामला 1995 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों से जुड़ा हुआ है। अप्रैल माह में छपरा के मशरख में 18 वर्षीय राजेंद्र राय और और 47 साल के दरोगा राय की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। हत्या एक पोलिंग बूथ के पास की गई थी। हत्या का आरोप तब बिहार पीपुल्स पार्टी से चुनाव लड़ रहे प्रभुनाथ सिंह पर लगा था। इस चुनाव में उनकी हार हुई थी।
इस चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को अशोक सिंह ने हरा दिया था। जनता दल से जीते हुए विधायक अशोक सिंह को भी प्रभुनाथ सिंह की तरफ से 90 दिनों के अंदर मार देने की धमकी दी गई थी। आखिरकार 90 दिन बाद 3 जुलाई 1995 को अशोक सिंह की भी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
प्रभुनाथ सिंह को विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इस सजा के बाद वो साल 2017 से सेंट्रल जेल हजारीबाग़ में बंद हैं। हालाँकि, पटना की निचली अदालत और पटना हाईकोर्ट ने उन्हें राजेंद्र व दरोगा राय हत्याकांड में बरी कर दिया था। इस फैसले को मृतक राजेंद्र राय के भाई हरेंद्र राय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।