उत्तर प्रदेश के मथुरा की एक अदालत में चल रही श्री कृष्ण जन्मभूमि बनाम ईदगाह मामले की सुनवाई में भगवान कृष्ण पक्ष उनकी मूर्ति के साथ कोर्ट में पेश हुआ। अदालत ने भगवान कृष्ण की हाजिरी स्वीकार करते हुए अगली तारीख पर उन्हें न लाने के आदेश दिए। मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी 2023 को तय की गई है।
अगली सुनवाई में केस के अन्य वादी भगवान कृष्ण के सखा के तौर पर अपना पक्ष रखेंगे। वहीं ईदगाह पक्ष के मुताबिक उस दिन अदालत में नो वर्क था और वकीलों ने किसी कारणवश उस दिन न्यायिक कार्यों में हिस्सा नहीं लिया था। यह सुनवाई मंगलवार (7 फरवरी 2023) को हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट में भगवान कृष्ण की मूर्ति को लेकर मामले के पक्षकार आशुतोष पांडेय पहुँचे थे। अदालत ने इस पर नाराजगी जताई और मूर्ति को लाने की वजह पूछी। इसके जवाब में आशुतोष पांडेय ने बताया कि उन्होंने जो केस दायर किया है, उसमें वादी ही केशव जी (भगवान कृष्ण) हैं। पक्षकार ने बताया कि अदालत में जज ने आदेश में वादी पक्ष के सभी लोगों को हाजिर होने का आदेश दिया था, ऐसे में ठाकुरजी (भगवान कृष्ण) को लाना उनकी मजबूरी थी। इस दलील को सुन कर कोर्ट ने भगवान कृष्ण की हाजिरी स्वीकार कर ली। इसी के साथ दुबारा उन्हें न लाने का भी आदेश दिया।
आशुतोष पांडेय ने अदालत से विवादित जमीन के सर्वे की माँग की। इस माँग पर न्यायलय ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 13 फरवरी 2023 को तय की। वहीं इसी केस के दूसरे पक्ष शाही मस्जिद ईदगाह इंतजामिया के सचिव और केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि आशुतोष पांडेय की माँग पर यह सुनवाई नो वर्क के दिन हुई, जब अदालत के बाकी वकीलों ने न्यायिक कार्यों से खुद को अलग कर रखा था।
इसी केस से जुड़े 5 अन्य वादियों अनिल त्रिपाठी, पवन शास्त्री, रंजना अग्निहोत्री, दिनेश शर्मा और शिशिर चतुर्वेदी की भी इसी दिन सुनवाई होनी थी। वकीलों के अदालती कार्यों से अनुपस्थित रहने की वजह से इन वादियों को सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 फरवरी को दी गई है।
इस मुद्दे पर आशुतोष पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पिछली तारीख को खुद अदालत ने कहा था कि वादी नंबर 6 मतलब केशव जी (भगवान कृष्ण) गैर हाजिर हैं। आशुतोष ने बताया कि इसी के बाद उन्होंने भगवान कृष्ण की प्रतिमा को कोर्ट में पेश किया। इसी बयान में उन्होंने आगे यह भी कहा कि कोर्ट में ईदगाह वालों को चोर बताते हुए उनके द्वारा बिजली चोरी का भी खुलासा उन्होंने ही किया था।
वादी आशुतोष ने आगे बताया कि ईदगाह कमेटी वालों के पास कोई भी मालिकाना अधिकार नहीं है और उनका टैक्स भी कृष्ण जन्मभूमि ही भरती है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईदगाह कमेटी वाले हिन्दू प्रतीक चिन्हों और वहाँ दबी प्रतिमाओं को हटाना और सबूतों को मिटाना चाह रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष के लोग मिट्टियों को हटा कर उसमें मौजूद खम्बों को विकृत करना चाह रहे, जिसकी वजह से उन्होंने कोर्ट से उस स्थान के सर्वे की माँग की है। आशुतोष के मुताबिक 13 फरवरी को ईदगाह कमेटी वालों की भी सुनवाई होगी।