तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित लोयोला कॉलेज की एक पूर्व महिला प्रोफेसर ने यौन शोषण करने वाले आरोपितों के खिलाफ 13 साल की लड़ाई के अनुभव के बारे में बताया था। अब राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने OpIndia की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए लोयोला कॉलेज के चेयरमैन को पत्र लिखा है। इस पत्र में इस मामले की जाँच कराने के साथ-साथ मद्रास हाईकोर्ट द्वारा तय नियमों के अनुसार कार्रवाई करने को कहा गया है।
दुनिया भर के कई इलाकों से ऐसी ख़बरें आती हैं, जहाँ काम पर जाने वाली महिलाओं के साथ उनके ऊपर के पदाधिकारियों ने यौन शोषण किया हो। कुछ इसी तरह का अनुभव लोयोला कॉलेज में प्रोफेसर रहीं जोसफिन जयशांति का भी है। कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनका यौन शोषण किया और जितनी बार भी उन्होंने शिकायत की, कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में उन्हें कॉलेज प्रशासन ने निकाल बाहर किया।
2019 में उनके हक़ में मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला दिया, लेकिन इसके बावजूद कॉलेज इसे मानने को तैयार नहीं है। न तो उनका यौन शोषण करने वालों पर कार्रवाई की गई और न ही उनका बकाया वेतनमान उन्हें दिया गया, जो लाखों में है। मीडिया आर्ट्स डिपार्टमेंट में लेक्चरर रहीं जोसेफिन ने बताया कि 2008 में डॉक्टर एस एंटोनी राजराजन के तमिल विभाग के हेड बनने के साथ समस्याएँ शुरू हुईं।
HOD के रूप में उनका व्यवहार पहले से ही सही नहीं था। जब जोसेफिन छुट्टी माँगती थीं तो वो एप्लिकेशन को फाड़ कर उनके मुँह पर फेंक देते थे। रोज उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता था और सभी के सामने अपमानित किया जाता था। HOD ने एक लॉज में उन्हें अपने साथ रहने के लिए जबरन बुलाया। साथ ही जबरदस्ती एक छात्र को उनके अंतर्गत रिसर्च स्कॉलर बनने को कहा।
जोसेफिन के अनुसार, उक्त HOD ने उनसे कहा था, “तुम अपने पति के बिना ऐसे ही पड़ी हुई हो, उससे अच्छा है कि मेरी कामनाओं की पूर्ति करो।” साथ ही सब के सामने ही वो कहते थे, “तुम्हारी शरीर में एक छेद है, उसमें प्लग कैसे लगाना है ये मैं जानता हूँ।” जब जोसेफिन ने उनका कहा मानने से इनकार कर दिया तो उनके खिलाफ मैनेजमेंट से शिकायत की गई। आरोप लगाया गया कि वो अपना काम ठीक से नहीं कर रहीं और गुटबाजी में लगी हैं।
राजन ने उनके काम की जगह बदल कर अपने ऑफिस में पास ही बिठा दिया और वहीं काम करने को मजबूर किया। एक बार तो स्थिति इतनी बिगड़ गई कि एक छात्र को उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा। कॉलेज की ‘एंटी सेक्सुअल हरैसमेंट कमिटी’ के समक्ष 2012 में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। कॉलेज के सेक्रेटरी अल्बर्ट विलियम्स ने उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। जोसेफिन के खिलाफ 60 आरोप लगा कर इसकी प्रति कॉलेज में बँटवाई गई।
2013 में जनवरी से मई तक उन्होंने कॉलेज प्रबंधन को 9 इमेल्स भेजे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। राजराजन के खिलाफ पहले से ही भ्रष्टाचार का एक मामला लंबित था। उनके आरोपों की जाँच के लिए अलग से कमिटी नहीं बनाई गई। दबाव के बाद कमिटी बनाई गई, प्रिंसिपल बदला, लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मद्रास हाईकोर्ट ने राजराजन को बरखास्त करने और जोसेफिन को मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन कॉलेज ने ऐसा नहीं किया।
@NCWIndia has taken cognizance of the matter.Chairperson @sharmarekha has written to Chairman Provincial, Loyola College to look into the matter & to ensure due compliance with the orders of the Madras High Court. NCW is also to be informed about the action taken at the earliest. https://t.co/wqTFwzuIet pic.twitter.com/K8mGr0urUS
— NCW (@NCWIndia) June 22, 2021
NCW ने लोयोला कॉलेज के चेयरमैन को लिखे गए अपने पत्र में ऑपइंडिया की खबर का जिक्र करते हुए कहा है कि अब तक हाईकोर्ट के आदेश का कॉलेज ने पालन नहीं किया है। आयोग ने कहा कि वो इस बात से परेशान है कि एक महिला के ससम्मान जीवन जीने के अधिकार को भंग किया गया। आयोग ने इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर कार्रवाई कर के सूचित करने के लिए कहा है।
जोसेफिन ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन बार-बार ‘तय प्रक्रिया से’ काम करने की बात कहता रहा, लेकिन क्या यौन शोषण के आरोपित को ही उस प्रक्रिया के बारे में अँधेरे में रखना कहाँ तक उचित है? उन्होंने बताया कि आरोपित का न सिर्फ बचाव किया गया, बल्कि समाज में उसे प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में प्रचारित भी किया गया। उन्होंने कहा कि वो इस मामले में आरोपितों को कोर्ट में घसीटेंगी और सज़ा दिला कर ही रहेंगी।