मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में दरगाह-ए-हकीमी और इच्छेश्वर मंदिर ट्रस्ट के बीच अतिक्रमण को लेकर विवाद जारी है। इस बीच एक दूसरा विवाद भी सामने आ गया है जिसे लेकर हिंदू संगठन और दरगाह-ए-हकीमी आमने सामने आ गए हैं। मंगलवार (3 जनवरी, 2023) के दोपहर को तो दरगाह के पिछले हिस्से में जमकर हंगामा हुआ। हिंदुवादी संगठनों, इच्छेश्वर हनुमान मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने दरगाह के पास प्रदर्शन किया।
मगंल को क्यों हुआ प्रदर्शन?
बुरहानपुर के लोधीपुरा स्थित दरगाह-ए-हकीमी के स्वामित्व वाले खेत में हनुमान जी की प्रतिमा के पूजन को लेकर पूरा विवाद हुआ। हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों का दावा है कि इस स्थान पर पहले मंदिर हुआ करती थी जिसे सुरक्षित रखने के वादे के साथ जमीन का सौदा दरगाह के साथ किया गया था। लेकिन दरगाह की तरफ से न केवल मंदिर नष्ट किया गया बल्कि यहाँ तक पहुँचने वाले रास्ते पर ताला लगा दिया गया।
खेत में मंदिर होने का पता कैसे चला?
दरगाह-ए-हकीमी और इच्छेश्वर मंदिर ट्रस्ट के बीच चल रहे पूर्व विवाद को सुलझाने के लिए पिछले दिनों विधायक सुमित्रा कास्डेकर के साथ मंदिर ट्रस्ट के लोग खेत के पास चर्चा कर रहे थे। ट्रस्ट के लोगों का दावा था कि यहाँ एक प्राचीन शिव मंदिर हुआ करता था। घनी झाड़ियों के बीच उन्हें हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा नजर आई, जिससे मंदिर ट्रस्ट और हिंदुवादी संगठन के लोगों के दावों को बल मिला। हनुमान जी की प्रतिमा मिलने के बाद भक्त उनकी पूजा करना चाहते थे। परन्तु दरगाह की तरफ से खेत की तरफ जाने वाले रास्ते को बंद करवा दिया गया। जिससे ताज़ा विवाद उत्पन्न हुआ।
जब भगवान का पूजा किए बिना नहीं रह सके भक्त
आराध्य की पूजा से रोके जाने के बाद प्रदर्शन कर रहे भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। भक्तों ने गेट के बाहर भजन और हनुमान चालीसा का पाठ किया। इसके बाद गेट बंद होने पर विरोध करते हुए ताला तोड़कर खेत के उस स्थान तक बढ़े जहाँ हनुमान जी की प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई थी। वहाँ उन्होंने हनुमान जी का पूजन किया। हिंदू संगठन हनुमानजी की प्रतिमा के पूजन के पूरे अधिकार की बात कह रहा है। वहीं, दरगाह प्रबंधन का कहना है बिना अनुमति के निजी संपत्ति में जबरन प्रवेश किया गया है।
मामले पर दरगाह-ए-हकीमी का पक्ष
खेत के विवाद पर दरगाह का पक्ष है कि उन्होंने 1986 में यह खेत शंकर सिंह नाम के व्यक्ति से खरीदा था। वहाँ कई वर्षों से हनुमानजी की मूर्ति रखी हुई थी। दरगाह का कहना है कि जिस व्यक्ति का खेत था उसी ने प्रतिमा स्थापित की थी। यह कोई सार्वजनिक स्थान या मंदिर नहीं था। यहाँ निजी चबूतरा और मूर्ति थी। आज भी वह उसी स्थिति में है। ट्रस्ट ने उसे सुरक्षित रखा हुआ है। मंगलवार को विवाद के समय हमने पूजा-पाठ के लिए दरगाह की अनुमति लेने की बात कही जिसे स्वीकार नहीं किया गया। दरगाह की तरफ से खेत को निजी संपत्ति बताया जा रहा है। दरगाह की तरफ से कहा गया कि इस तरह ताला तोड़कर किसी की निजी संपत्ति में प्रवेश करना पूरी तरह गलत है। दरगाह की तरफ से इस मामले में 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
मामले पर हिंदुवादियों और मंदिर ट्रस्ट का पक्ष
रिपोर्ट्स के मुताबिक इच्छेश्वर मंदिर समिति के सदस्य महेश सिंह चौहान का कहना है, “हमने 1912 का नक्शा देखा। वहाँ मंदिर होने का उल्लेख है। खेत में हनुमान जी की प्रतिमा भी मिली है। हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के तहत वहाँ पूजन करने का हमें अधिकार है। इसको लेकर दरगाह प्रबंधन से समझौता भी हुआ था, लेकिन जब पूजन के लिए लोग पहुँचे तो बाहर गेट पर ताला लगा दिया गया। इससे नाराज भक्तों ने ताला तोड़ दिया।” महेश सिंह चौहान ने नक्शे के हवाले से कहा कि इलाके के लगभग 4 एकड़ भूमि पर हनुमान मंदिर और बड़े शिवलिंग का जिक्र है। स्थानीय लोगों ने भी दरगाह के पीछे खेतों में प्राचीन मंदिर होने की बात कही। जब हमलोग वहाँ पहुँचे तो हमें गंदगी में हनुमान जी की मूर्ति मिली। उसके बाद हमारा और भक्तों का विश्वास मजबूत हो गया।
खेत बेचने वाले शंकर सिंह चौहान के वंशज का पक्ष
दरगाह को जमीन बेचने वाले शंकर सिंह चौहान के वंशज जगदीश सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि दरगाह की तरफ से जमीन बेचने से पहले हुए समझौते का पालन नहीं किया जा रहा है। समझौते के तहत मंदिर और मंदिर का रास्ता छोड़कर खेत बेचा गया है। जगदीश सिंह ने मामले में पुलिस को शिकायत भी दी है। शिकायत में कहा गया है कि दरगाह के निसरीन अली ने जगदीश सिंह को झूठी गवाही देने के लिए प्रलोभन दिया। जगदीश सिंह से कहा गया कि आप खेत में बजरंग बली की मूर्ति होने की बात से इनकार कर दें। गवाही दें कि समिति वालों ने मूर्ति यहाँ लाकर रख दी है। जबकि सच्चाई यह है कि यह मंदिर कई पीढ़ियों से स्थापित है।
आपको बता दें कि दरगाह के तकरीबन 100 एकड़ जमीन में से 4 एकड़ पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा दरगाह और इच्छेश्वर हनुमान मंदिर के बीच अतिक्रमण को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद के निपटारे के लिए पिछले दिनों सर्वे का काम भी किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।