मोहनदास करमचंद गाँधी (Mohandas karamchand Gandhi) पर एक बयान के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा कालीचरण महाराज (Kalicharan maharaj) को कानून को ताक पर रखकर गिरफ्तार किए जाने के बाद से इस मामले में चर्चा तेज हो गई है। इसी क्रम में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि (Swami yatindranand Giri) ने बड़ा बयान देते हुए सवाल किया है कि अगर सरकार सच में इतनी संवेदनशील है तो भगवान राम और सीता मैय्या के उपहास उड़ाने वालों और उन्हें व्यभिचारी कहने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करे।
स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि का कहना है कि कालीचरण ने महात्मा गाँधी पर जो भी टिप्पणी की है संत समाज उसका समर्थन नहीं करता है। गाँधी जी का सम्मान है, लेकिन इस देश में भगवान राम को आए दिन गालियाँ दी जाती हैं और माँ सीता को व्यभिचारिणी कहा जाता है। टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में उनका उपहास उड़ाया जाता है, देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाई जाती हैं। उस वक्त कोई कुछ क्यों नहीं बोलता। तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। उन्होंने ये बयान हरिद्वार में दिया।
स्वामी गिरि के मुताबिक, भारतीय स्वतंत्रता आदोलन में अहिंसा को सबसे ऊपर रखा उनका योगदान सम्मानीय है। संत ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि गाँधी के अफ्रीका से वापस आने से पहले भी कई क्रान्तिकारी थे और उन्हें भी याद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसी एक व्यक्ति को संग्राम का श्रेय नहीं दिया जा सकता। उस लड़ाई में सुभाष चंद्र बोष, चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर, गंगाधर तिलक समेत कई लोग हैं।
संत ने द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की बात को दोहराया और कहा कि उन्होंने बड़ी अच्छी बात कही है कि आदर और सम्मान अपनी जगह है। लेकिन राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं हो सकता। अगर राष्ट्र से बड़ा कोई है तो वो परमात्मा है। गाँधी राष्ट्रपिता नहीं राष्ट्र के पुत्र हो सकते हैं।
घर वापसी पर दिया बयान
वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने पर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने कहा उन्होंने घर वापसी की है। अगर मुस्लिम अपनी भूल सुधार कर मूल धर्म में आते हैं तो उनका स्वागत है।