Sunday, November 17, 2024
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न जुबान चढ़ी और न आँख…फाँसी कैसे? नरेंद्र गिरि को भू-समाधि: सुसाइड लेटर में दो पेन के प्रयोग से गहराया संदेह, उत्तराधिकारी पर टला फैसला

सुसाइड लेटर को लेकर यह बातें भी कही जा रही है कि कुल 12 पन्ने के सुसाइड नोट को दो बार में और दो अलग-अलग कलम से लिखा गया है। पहले आठ पेज 13 सितंबर को लिखे गए जबकि अगले चार पेज 20 सितंबर को।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघम्बरी मठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को एक ओर जहाँ आज भू-समाधि दी गई। वहीं, इसी बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया। पंचपर्मेश्वर की बैठक में महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट को फर्जी कहा गया है।

इसी के साथ उनके उत्तराधिकारी की घोषणा के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की गई है। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने सुसाइड लैटर को फर्जी बताते हुए उत्तराधिकारी की घोषणा करने से मना कर दिया। जिसके बाद संत बलवीर के उत्तराधिकारी बनने पर फिलहाल के लिए फैसला टल गया। बैठक की अगली दिनांक यानी 25 सितंबर को इस बाबत फैसला लेकर घोषणा की जाएगी।

‘आज तक’ से बातचीत में निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने कहा कि जो सुसाइड नोट मिला है, वह उनके (महंत नरेंद्र गिरि) द्वारा नहीं लिखा गया है। इस मामले की जाँच होनी चाहिए। ऐसा लगता है किसी बीए पास लड़के ने यह पत्र लिखा है। इस संबंध में अखाड़ा अपने स्तर से भी जाँच कर रहा है।

रविंद्र पुरी ने सवाल किया कि आखिर फाँसी में पीछे चोट कैसे हो सकती है? इसके अलावा न जुबान चढ़ी थी और न आखें…तो ये फाँसी कैसे हो सकती है। पुरी ने जानकारी दी कि महंत के निधन पर अखाड़े में भी 7 दिन का शोक जारी है। उत्तराधिकारी को लेकर उन्होंने कहा कि कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि लिखा है जबकि वो पुरी हैं। महंत नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते थे।

इसके अलावा सुसाइड लेटर को लेकर यह बातें भी कही जा रही है कि कुल 12 पन्ने के सुसाइड नोट को दो बार में और दो अलग-अलग कलम से लिखा गया है। पहले आठ पेज 13 सितंबर को लिखे गए जबकि अगले चार पेज 20 सितंबर को। अजीब बात यह है कि 13 सितंबर को जिन पेजों को लिखा गया, उस पर तारीख को काट कर 20 सितंबर कर दिया गया है। शुरुआती पेजों में 25 जगह कटिंग नोटिस की गई है जबकि अगले चार पेजों में 11 जगह।

बता दें कि बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे वाहन में रखकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर लाया गया। यहाँ उन्हें स्नान कराने के बाद मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में उनके गुरु के बगल में समाधि दी गई।

महंत नरेंद्र गिरि पद्मासन मुद्रा में ब्रह्मलीन हुए। अब एक साल तक यह समाधि कच्ची ही रहेगी। इस पर शिवलिंग की स्थापना कर रोज पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद समाधि को पक्का बनाया जाएगा। इस बीच उनकी आत्महत्या के मामले में ये नया मोड़ ही है जो प्रयागराज में हुई पंचपर्मेश्वर की बैठक में महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट को फर्जी कहा गया। इसके साथ ही उनके उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की बात पर भी विवाद हुआ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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