2021 की शुरुआत से महाराष्ट्र राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यह जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जारी सांख्यिकीय रिपोर्ट [पीडीएफ] से सामने आई है।
01 जनवरी, 2021 से 24 अप्रैल, 2021 तक के आँकड़ो का हवाला देने वाली रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकतम गिरफ्तारी पुलिस विभाग से हुई और उसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों का नंबर है।
एक चौंकाने वाले खुलासे के मुताबिक, पुलिस विभाग में शामिल रिश्वत की राशि 11,58,100 रुपए और उसके बाद नगर निगमों में 10,05,500 रुपए और राजस्व विभाग में 9,45,400 रुपए दर्ज की गई है।
254 दर्ज मामलों में रिश्वत की कुल राशि 61.89 लाख रुपए है।
आँकड़ों के अनुसार, एसीबी द्वारा इस साल जनवरी की शुरुआत से 24 अप्रैल तक 254 नए मामले दर्ज किए गए और इनमें शामिल 342 लोगों की गिरफ्तारी हुई जो पिछले साल की समान अवधि के 201 नए मामलों और 282 गिरफ्तारियों की तुलना में कहीं अधिक है।
दर्ज किए गए 254 मामलों में से 53 मामले राजस्व विभाग के खिलाफ दायर किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 73 अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है।
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि भ्रष्टाचार के 50 मामलों में पुलिस विभाग से 77 गिरफ्तारियाँ की गई हैं, जबकि विभिन्न नगर निगमों के खिलाफ 22 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 33 अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है।
अधिकतम मामले औरंगाबाद (79), नासिक (58), पुणे (57), ठाणे (40) और मुंबई (32) जैसे शहरों से दर्ज किए गए हैं।
एसीबी के एक अधिकारी ने एक बयान में खुलासा किया, “पुलिस और राजस्व विभाग पिछले कुछ सालों से भ्रष्टाचार के मामलों में शीर्ष स्थान पर हैं। पिछले साल लॉकडाउन के कारण कम मामले दर्ज किए गए थे और जैसे ही लॉकडाउन हटाया गया, मामले फिर से बढ़ने लगे। हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों द्वारा की जा रही माँगों में न पड़ें और आगे आकर एसीबी से शिकायतें करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज हो सकें। हम नियमित रूप से नागरिकों को भ्रष्टाचार को उखाड़ने के बारे में अधिक जागरूक बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं।”
CBI ने दर्ज की अनिल देशमुख के खिलाफ FIR
इस बीच, भ्रष्टाचार के आरोपों में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भी सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है।
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख के खिलाफ जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने डॉ. जयश्री पाटिल द्वारा दायर जनहित याचिका के आधार पर सीबीआई जाँच के आदेश के बाद प्रारंभिक जाँच की जा रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले को ‘असाधारण और अभूतपूर्व’ करार देते हुए यह भी कहा था कि उसके आदेश के बाद शुरू की गई प्रारंभिक जाँच के बाद सीबीआई कार्रवाई का फैसला करने के लिए स्वतंत्र होगी। इसलिए, इसने सीबीआई को तब मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी, यदि उसे परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों में अनिल देशमुख के खिलाफ सबूत मिला हो।