Friday, November 22, 2024
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‘अवैध मस्जिद हटाओ, वरना यहीं विशाल हनुमान मंदिर बनेगा’ : महाराष्ट्र के सतारा में हिंदू संगठनों की माँग, 2013 में HC भी दे चुका है आदेश

विवाद की शुरुआत साल 2012 में हुई जब फलटन के पास मलथान नाम के स्थान पर रहने वाले मुस्लिमों ने मस्जिद निर्माण शुरू किया था। इसके खिलाफ मंगेश खंडारे नाम के हिंदुवादी नेता ने कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मस्जिद को अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाया जा रहा है।

महाराष्ट्र के सतारा में स्थानीय हिंदू संगठन के लोगों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई मस्जिद को हटाने की माँग की है। संगठन के लोगों का कहना है कि न्यायालय से आदेश के बाद भी मस्जिद को नहीं हटाया गया है। उन्होंने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार से अवैध निर्माण को हटाकर सरकारी जमीन को मुक्त कराने का निवेदन किया है। संगठन के तरफ से कहा गया है कि यदि अवैध तौर पर बनाई गई मस्जिद को नहीं हटाया गया तो यहाँ एक विशाल हनुमान मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।

दी गई जानकारी के मुताबिक सतारा जिले के फलटन गाँव की सरकारी जमीन पर साल 2013 में इस अवैध मस्जिद का निर्माण कराया गया था। उसके बाद कोरोना काल के समय लगाए गए लॉकडाउन के समय का फायदा उठाकर मस्जिद परिसर को और विस्तारित कर दिया गया। इलाके में रहने वाले मुस्लिमों ने मस्जिद के आगे एक दरगाह और मस्जिद ट्रस्ट का बोर्ड लगाया हुआ है। मस्जिद हटाने की माँग कर रहे हिंदुओं के अनुसार इस तरह का कोई भी ट्र्स्ट या दरगाह वजूद में नहीं है। अवैध निर्माण को बचाने के लिए इसे बनाया गया है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2013 में दिया था मस्जिद हटाने का आदेश

ऑपइंडिया द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विवाद की शुरुआत साल 2012 में हुई जब फलटन के पास मलथान नाम के स्थान पर रहने वाले मुस्लिमों ने मस्जिद निर्माण शुरू किया था। इसके खिलाफ मंगेश खंडारे नाम के हिंदुवादी नेता ने कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मस्जिद को अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाया जा रहा है। खंडारे ने अपनी याचिका के साथ जरूरी सबूत भी अटैच किए थे जिसके आधार पर मस्जिद का निर्माण रोकने की माँग की गई थी।

याचिकाकर्ता द्वारा अवैध ढाँचे का निर्माण करवा रहे लोगों व मालिकाना हक का दावा करने वालों के खिलाफ जाँच व कार्रवाई की माँग की गई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में इस जनहित याचिका का संज्ञान लिया और संबंधित अधिकारियों को 10 सप्ताह के भीतर मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई करके याचिकाकर्ता को इसकी सूचना देने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद भी आजतक मस्जिक के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

एक मुस्लिम महिला ने किया था सरकारी जमीन पर दावा, कोर्ट कर दिया था खारिज

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद गाँव की रहने वाली मुमताज मुजावर नाम की मुस्लिम महिला ने जमीन पर दावा किया। महिला ने इस जमीन को अपनी संपत्ति बताते हुए कोर्ट में मुकदमा दायर कराया। महिला ने दावा किया कि जमीन उसकी चाची की थी। चाची के कोई संतान न होने की वजह से मुमताज उसकी वारिस थी। मुमताज ने दावा किया कि आजादी के बाद भारत सरकार ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया।

इस पर सतारा कोर्ट ने मुमताज से उसकी चाची का नाम और वर्तमान पता पूछा। कोर्ट ने मुमताज से घटना को लेकर अखबार में भी इश्तिहार छपवाने को कहा। मुमताज अदालत के निर्देशों का पालन करने में असमर्थ रही। इसके बाद भी मामला चलता रहा और आखिरकार साल 2019 में अदालत ने मुमताज के दावों को खारिज कर दिया।

स्थानीय हिंदू संगठन के सदस्य अक्षय तवारे ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि महिला द्वारा जमीन पर किए जा रहे स्वामित्व के दावों का कोई आधार नहीं है और कोर्ट ने भी यह माना है। उन्होंने बताया कि मुमताज जिस चाची की बात कर रही हैं वह विभाजन के दौरान पाकिस्तान चली गई थीं। जिसके बाद इस संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया गया। अब यह सरकारी जमीन है और उस पर अवैध मस्जिद बना दी गई है। उन्होंने कहा कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी इस पर अमल नहीं किया जा रहा है।

अचानक बढ़ गई मुस्लिमों की संख्या

मालथान गाँव के अक्षय ने जानकारी दी कि वर्ष 2012 से पहले यहाँ कोई मस्जिद नहीं थी। मुस्लिम अपने घरों में ही इकट्ठे होकर नमाज़ अदा किया करते थे। इस मस्जिद के निर्माण के बाद इलाके में मुस्लिमों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। अक्षय ने कहा कि किसी ने खाली जमीन पर एक छोटा सा शेड बना दिया। धीरे-धीरे वहाँ एक मस्जिद बना दी गई। अब लोग यहाँ इकट्ठा होते हैं नमाज पढ़ते हैं और इफ्तार पार्टियों का आयोजन करते हैं। साल 2013 से पहले और उसके बाद के सैटेलाइट तस्वीरों में भी देखा जा सकता है कि मस्जिद का निर्माण बाद में कराया गया।

अवैध निर्माण की पुष्टि करती सैटेलाइट तस्वीरें

मंगेश और अक्षय ने ऑपइंडिया को बताया कि हाल ही में रमजान के महीने के दौरान मस्जिद के आगे एक बोर्ड लगा दिया गया था। इस बोर्ड में में लिखा गया था कि मस्जिद दरगाह और मस्जिद ट्रस्ट की है। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि ट्रस्ट कब बना? इसके सदस्य कौन हैं? मस्जिद किसने बनवाई? इसकी देखरेख की जिम्मेदारी किसकी है? संचालन के लिए पैसे कहाँ से आते हैं? इन सवालों का जवाब मस्जिद का दावा करने वालों के पास नहीं है।

नहीं तो बनेगा विशाल हनुमान मंदिर

उन्होंने कहा कि मस्जिद में भारी भीड़ जमा होने के कारण हिंदुओं के लिए खासकर महिलाओं के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। अक्षय ने जानकारी दी कि 18 अप्रैल को वे ‘दरगाह और मस्जिद ट्रस्ट’ के बारे में पूछताछ करने के लिए सतारा बंदोबस्ती आयुक्त के कार्यालय (Endowment Commissioner’s office) गए थे। अधिकारियों ने तवारे को जानकारी दी कि इस तरह के किसी भी ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है। पूरी जानकारी के लिए वक्फ बोर्ड की वेबसाइट खंगाली जा रही है।

अदालत के फैसले के बाद कार्रवाई न होने के बाद हिंदुवादी संगठनों ने सरकारी अधिकारियों को कई चिट्ठियाँ लिखीं। बावजूद इसके आजतक इस निर्माण को नहीं हटाया जा सका है। हिंदुवादी संगठनों ने अब चेतावनी दी है कि यदि इस अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया तो वे यहीं एक विशाल हनुमान मंदिर का निर्माण करवाएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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