वाराणसी में जिस व्यक्ति का जबरन सिर मूँड़ कर उस पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया गया था, वो भारतीय निकला है। इससे पहले ख़बर आई थी कि वो व्यक्ति नेपाली था, जिसका सिर मूँड़ कर उससे नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ नारे लगवाए गए और उसे गंजे सिर पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया गया। वाराणसी पुलिस ने खुद इस बात की सूचना दी है कि उक्त व्यक्ति 1000 रुपए लेकर भाड़े का नेपाली बना था।
शनिवार (जुलाई 18, 2020) को एसएसपी अमित पाठक ने खुलासा किया कि वीडियो में नेपाली बता कर पेश किया जा रहा व्यक्ति मूल रूप से भारतीय है। उसका नाम धर्मेंद्र भारतीय है। पुलिस ने बताया है कि साड़ी की दुकान में काम करने वाले धर्मेंद्र की आर्थिक तंगी का फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने उसे लालच दिया और वीडियो शूट करवाने के लिए ये सब ड्रामा रचा। विश्व हिंदू सेना के संस्थापक और मुख्य आरोपित अरुण पाठक ने ये सब किया।
वाराणसी पुलिस ने बताया है कि इस मामले में अब तक 6 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है। इससे पहले खुलासा हुआ था कि पाठक ने अपने फेसबुक प्रोफाइल के बॉयो में लिखा है, “बाला साहेब का शिष्य एवं एक सनातन।” इसके अलावा अन्य जानकारियों में भी इस बात का उल्लेख है कि वो साल 2000 से 2003 तक शिवसेना का जिलाध्यक्ष रह चुका है। उसकी फेसबुक पर अपलोड तस्वीर देखने पर भी मालूम चलता है कि शिवसेना के बड़े नेताओं के साथ भी उसका उठना-बैठना रहा है।
@amitpathak09 @CMOfficeUP @PMOIndia @UPGovt @dgpup @Uppolice @adgzonevaranasi @igrangevaranasi @HMOIndia pic.twitter.com/cHw9im2Dw0
— Varanasi Police (@varanasipolice) July 18, 2020
उसकी टाइमलाइन पर कई पोस्टर भी हैं। इनमें बाला साहेब की तस्वीर साफ देखी जा सकती है। यहाँ बता दें शिवसैनिक अरुण पाठक ने पीएम ओली की टिप्पणी के बाद उनकी निंदा के लिए विश्व हिंदू सेना के बैनर तले गंगा किनारे घाटों और मंदिरों पर पोस्टर लगवाए थे। इनके माध्यम से उसने ओली को चीन के इशारों पर चलना बंद करने की चेतावनी भी दी थी। उसने ही इस हरकत की साजिश रची थी।
इसके बाद अपनी इस हरकत को जायज भी ठहरा रहा था। उसने कहा कि उसके कार्यकर्ताओं ने एकदम सही कदम उठाया। उसने दावा किया था कि नेपाली प्रधानमंत्री लगातार भारत के प्रति अपना जहर उगल रहे हैं, लेकिन जब बात हमारे भगवान श्रीराम की होगी, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उसने वाराणसी नेपाली नागरिकों को धमकाया भी था। इस घटना की चहुँओर निंदा हुई थी।’
ज्ञात हो कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 13 जुलाई को कहा था कि श्री राम नेेपाली थे और भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण करने के लिए वहाँ फर्जी अयोध्या का निर्माण कराया। इसके साथ ही पीएम केपी शर्मा ओली ने यह भी कहा था, ”हालाँकि वास्तविक अयोध्या बीरगंज के पश्चिम में थोरी में स्थित है, भारत अपने यहाँ भगवान राम का जन्मस्थल होने का दावा करता है।” वहीं अब अजीबोगरीब दावे के बाद खुद को बुरी तरह घिरता देख ओली ने विदेश मंत्रालय के जरिए सफाई पेश करवाई थी।