साल 2008 में हुए 26/11 के आतंकवादी हमलों की बरसी के मौके पर मेंगलुरु की दीवारों पर भयावह बातें लिखी (ग्राफिटी) हुई थीं। जिसमें चेतावनी दी गई थी कि ‘संघी और मनुवादियों’ को ख़त्म करने के लिए लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान की मदद ली जा सकती है।
ग्राफिटी में ऐसा लिखा हुआ था, “हमें इस बात के लिए मजबूर नहीं किया जाए कि हमें संघियों और मनुवादियों का सामना करने के लिए लश्कर-ए-तैय्यबा और तालिबान की मदद लेनी पड़े।” दीवार के एक हिस्से में हैशटैग बना हुआ है जिसमें लश्कर का समर्थन करते हुए ‘लश्कर जिंदाबाद’ लिखा था। पुलिस के मुताबिक़ यह ग्राफिटी 27 नवंबर की देर रात या सुबह के आस पास देखी गई थी।
ऑपइंडिया से बात करते हुए पुलिसकर्मियों ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी। पुलिस वालों ने बताया कि ग्राफिटी मेंगलुरु के सर्किट रोड स्थित अपार्टमेंट पर बनाई गई थी। कदरी पुलिस थाने ने इस प्रकरण के संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जाँच शुरू कर दी है।
इसके कुछ समय बाद पुलिस ने बताया था कि ग्राफिटी को ढक दिया गया है।
Mangaluru: Graffiti supporting terror groups Lashkar-e-Taiba and Taliban seen in Kadri earlier (photo 1 and 2), now covered (photo 3).
— ANI (@ANI) November 27, 2020
“We have covered it now. All CCTV cameras in the locality are being checked. We are looking for all possible clues,” says police. #Karnataka pic.twitter.com/H9oOenqFJU
इस मामले की जाँच करने वाले कदरी थाने के पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से संबंधित अन्य धाराओं के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया जा चुका है।
इस ग्राफिटी में मनुवेदी (manvedi) शब्द को पेंट किया गया था जिसका अर्थ होता है ‘मनुवादी’। तमाम हिन्दू विरोधी तत्व हिंदुत्व से लड़ने का दावा करते हैं और ऐसे हिंदू जो अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते हैं उन्हें मनुवादी कहते हैं। ऐसे लोगों का यह भी कहना है कि हिन्दू मनुस्मृति का पालन करते हैं जो कि ब्राह्मणों द्वारा दूसरे वर्गों को नीचा दिखाने के लिए तैयार किया गया दस्तावेज़ है।
इसके अलावा वामपंथी और इस्लामी जमात अपनी कुंठा के परिणामस्वरूप हिंदुओं के लिए ‘संघी’ शब्द का उपयोग करते हैं और इनका मानना है कि ऐसे लोग भाजपा को वोट देते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों पर चलते हैं। दिन प्रतिदिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इस तरह का वैचारिक जहर उन हिंदुओं के लिए है जो कट्टरपंथी इस्लामी और वामी विचारों को अस्वीकार कर देते हैं।