गुजरात पुलिस ने ‘तिरंगा को सलाम नहीं करना चाहिए’ और ‘राष्ट्रगान नहीं गाना चाहिए’ जैसे संदेशों को वायरल करने के आरोपित मौलवी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित की पहचान मौलवी वासिफ रज़ा के तौर पर हुई है जो पोरबंदर का रहने वाला है। इन फतवों का विरोध करने वाले 3 मुस्लिम युवकों को इतना प्रताड़ित किया गया था कि उन्हें फिनायल पीने पर मजबूर होना पड़ा था। मौलवी की गिरफ्तारी शनिवार (12 अगस्त) को हुई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलवी ने पुलिस के आगे यह कबूल कर लिया है कि वायरल ऑडियो क्लिप उसी की है। हालाँकि, शुरू में उसने इस से इनकार किया था। आरोपित मौलवी की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए पोरबंदर के पुलिस प्रमुख भागीरथ सिंह जडेजा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस में बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा ‘बहार-ए-शरीयत’ नाम का व्हाट्सएप ग्रुप चलाया जाता था।
इसी में नगीना मस्जिद के मौलवी वासिफ रज़ा और कुछ अन्य लोग एडमिन हैं। इस ग्रुप में लोग वॉइस क्लिप से सवाल पूछते हैं। बाद में उसका जवाब मौलवी देता है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल शुक्रवार (अगस्त 11, 2023) की देर रात पोरबंदर के रहने वाले शकील कादरी सैयद, सोहिल इब्राहिम परमार और इम्तियाज हारून सिपाही ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो बनाकर फिनाइल पी लिया। हालात बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। अस्पताल में उन्होंने बताया कि मौलवी द्वारा द्वारा राष्ट्रगान न गाने और तिरंगे को सलामी न देने की ऑडियो वायरल होने के बाद वो मस्जिद में गए। यहाँ उन्होंने मौलवी के बयान का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की गई। तीनों पीड़ित युवकों से मारपीट करने में मौलवी और उसके कुछ साथी शामिल थे।
पीड़ित युवकों ने यह भी बताया कि ऑडियो क्लिप पर सवाल उठाने के चलते न सिर्फ मौलवी द्वारा उन्हें बदनाम किया जा रहा बल्कि इस्लाम से ख़ारिज करने की भी धमकी दी जा रही है। मौलवी ने उलटे तीनों युवकों के खिलाफ ही पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी थी। इस बात से तीनो युवक परेशान थे और उन्होंने फिनायल पी कर आत्महत्या की कोशिश की। मौलवी वासिफ की जिस ऑडियो क्लिप पर यह पूरा विवाद खड़ा हुआ है वो 29 जनवरी 2023 की बताई जा रही है।