उत्तर प्रदेश के मेरठ में 2008 में तीन हिन्दू युवकों की हत्या के मामले में आरोपित इजलाल को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। उसके साथ ही उसकी गर्लफ्रेंड शीबा सिरोही समेत 10 लोगों को दोषी माना गया है। इस हाई प्रोफाइल मामले में लगातार 16 वर्षों से मामला चल रहा है।
कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को 10 आरोपितों को दोषी करार दिया है। इस मामले में सजा 5 अगस्त को सुनाई जाएगी। अब तक इजलाल इस मामले में जमानत पर घूम रहा था। उसे अब जेल जाना होगा। अदालत ने इजलाल की गर्लफ्रेंड शीबा सिरोही को भी दोषी करार दिया है, उसके ही चक्कर में यह तिहरा हत्याकांड हुआ था।
क्या था पूरा मामला
मुख्य आरोपित इजलाल का मेरठ की एक लड़की शीबा सिरोही से प्रेम प्रसंग था। शीबा सिरोही सामान्य परिवार से थी जबकि इजलाल काफी प्रभावशाली परिवार से था। इजलाल के पास मीट की फैक्ट्री, कोल्ड स्टोरेज और अन्य कई धंधे थे। इजलाल का चचेरा भाई शाहिद अखलाक 2008 में बसपा का मेरठ से सांसद भी था।
शीबा और इजलाल का लम्बे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। शीबा की घरवालों ने सेना के एक अफसर के साथ शादी करवाई थी लेकिन वह वहाँ रह ना पाई और मेरठ वापस चली आई थी। इजलाल उस पर काफी पैसे लुटाता था। लेकिन इस बीच शीबा पर इजलाल को शक हो गया।
दरअसल, शीबा सुधीर नाम उज्ज्वल नाम के एक लड़के से बात करती थी। यह बात इजलाल को पसंद नहीं आई। सुधीर, इजलाल का पहले से पहचान वाला था। इजलाल ने इसीलिए सुधीर को मारने का प्लान बनाया और इसके लिए 23 मई, 2008 की रात मेरठ के गुदड़ी बाजार में स्थित एक घर में उसे बुलाया।
सुधीर के साथ पुनीत गिरी और सुनील ढाका नाम के दो और युवक भी आए। इस घर में इजलाल ने पहले इन युवकों को शराब पिलाई और फिर इन पर हमला बोल दिया। इजलाल ने इन तीनों को पीट-पीट कर मार दिया। इसके बाद इनकी आँखे निकाल लीं। इनके शव को क्षत-विक्षत कर दिया गया। मीट काटने वाले छुरे से इनके शव काटे भी गए।
इसके बाद शवों को घर में ही फेंक दिया गया। इजलाल ने मोटर चला कर घर को धोया भी। लेकिन तीनों के शरीर से बहा खून बाहर सड़क पर आ गया और मुहल्ले के लोगों को पता चल गया। इजलाल ने इसके बाद शव ठिकाने लगाने की सोची।
लाश सड़क किनारे छोड़ी
इजलाल ने मामला बिगड़ता देख फोन कर गाड़ियों का काफिला मंगवा लिया। इसके बाद तीनों शवों को निकाल कर एक एस्टीम गाड़ी में रखा गया और उन्हें लेकर वह ठिकाने लगा चला गया। इजलाल के मँगवाए काफिले में एक लाल बत्ती की गाड़ी भी थी। इज्लाला मेरठ से यह लाशें लेकर निकला और तीनों लाशों को बागपत में हिंडन नदी के किनारे लेकर पहुँचा।
इजलाल की गाड़ी का यहाँ तेल खत्म हो गया। इसके बाद उसने गाड़ी यहीं छोड़ दी। जब तीनों के घरवालों ने तलाश चालू की तो मामले का खुलासा हुआ। इस मामले से धार्मिक तनाव भी बन गया क्योंकि हत्यारा मुस्लिम और मारे जाने वाले तीनों हिन्दू थे। मामले में पुलिस ने इजलाल को बागपत से गिरफ्तार किया था।
उसे कुछ समय के बाद जमानत मिल गई थी। इजलाल अब तक जेल से बाहर ही रह रहा था। अब उसे दोषी ठहराया गया है, उसको सजा 5 अगस्त को सुनाई जाएगी। कोर्ट ने इजलाल के अलावा शीबा सिरोही, अफजाल, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन, महराज, इजहार और अब्दुल रहमान को दोषी ठहराया है। इस मामले में एक गवाह पर भी हमला हो चुका है।