ओडिशा में 14 ऐसे छात्रों ने NEET (National Eligibility cum Entrance Test) की परीक्षा में बाज़ी मारी है, जिनके पास संसाधन का अभाव था, जो गरीब थे। जहाँ भारत में लाखों छात्र डॉक्टर बनने का सपना लिए नीट की तैयारी करते हैं और परीक्षा देते हैं, ऐसी परिस्थिति में इन 14 छात्रों द्वारा नीट परीक्षा उत्तीर्ण करना सरल नहीं है। लेकिन, इन छात्रों की सफलता के पीछे कोई ऐसा भी है, जिसने उतनी ही मेहनत की है जितनी इन छात्रों ने। उनका नाम है- अजय बहादुर सिंह, ‘जिंदगी फाउंडेशन’ के संस्थापक। जो स्थान बिहार में आनंद कुमार के सुपर 30 का है, वही स्थान ओडिशा में ‘जिंदगी फाउंडेशन’ का है।
अजय बहादुर ख़ुद एक डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन कई कारणों से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया। अब वो हर उसे बच्चे में अपने उस सपने को देखते हैं, जिसे ‘जिंदगी फाउंडेशन’ द्वारा मदद दी जाती है। यह संस्था डॉक्टर बनने का सपना लिए नीट की तैयारी कर रहे ग़रीब छात्र-छात्राओं को उचित मदद मुहैया कराती है। यह संस्था ऐसे छात्रों के लिए है जो पढ़ने में तो काफ़ी अच्छे हैं लेकिन उनके पास ट्यूशन के लिए लाखों रुपए ख़र्च करने के लिए नहीं हैं। 2018 में इस संस्था के 18 छात्रों ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की और इसमें से 12 ने विभिन्न प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लिया।
अजय बहादुर सिंह की कहानी भी जानने लायक है। उनके पिता इंजिनियर थे और उनकी भी इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए अजय जी-जान से जुट कर तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन, अचानक से घर में विपत्ति आन पड़ी और अजय के पिता का किडनी ट्रांसप्लांट के कारण परिवार को अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी और वे वित्तीय रूप से काफ़ी कमज़ोर हो गए। अजय को चाय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालाँकि, उन्होंने किसी तरह सोशियोलॉजी में अपना स्नातक पूरा किया।
Meet Ajay Bahadur Singh, once a tea seller, now a teacher in Odisha, whose all 14 students crack NEET 2019 | education | Hindustan Times https://t.co/21G3M6woWi
— Sanjay Lokhande (@SanjayL54679606) June 10, 2019
चाय के बाद अजय सोडा मशीन बेचने लगे। अपनी पढ़ाई का ख़र्च उठाने के लिए उन्हें बच्चों को ट्यूशन तक पढ़ाना पड़ा। लेकिन, अजय के इरादे चट्टान की तरह थे और उन्होंने वित्तीय संकट से निजात पाकर ख़ुद को इस लायक बनाया कि वे औरों की भी मदद कर सकें। अजय कहते हैं:
“अब मैं वित्तीय रूप से एक अच्छी स्थिति में हूँ, मेरी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं ऐसे छात्रों की मदद करूँ जो अपना ट्यूशन फी का वहन नहीं कर सकते। ग़रीब छात्र हमारी संस्था को ज्वाइन कर सकते हैं, जिसके बाद उनके रहने-खाने एवं पढ़ाई का ख़र्च संस्था ही वहन करती है। इतना ही नहीं, उनकी परीक्षा का व्यय और ट्यूशन फी भी ज़िम्मेदारी हमारी संस्था ही लेती है।”
इस वर्ष नीट क्वालीफाई करने वाले अजय के शिष्यों में से एक कृष्णा मोहंती भी शामिल हैं, जिनके पिता राजमिस्त्री हैं। अजय कहते हैं कि वे अपने शिष्यों से यही गुरुदक्षिणा चाहते हैं कि डॉक्टर बनने के बाद वे ग़रीब मरीजों का इलाज मुफ़्त में करें। यूँ तो ओडिशा ने हजारों छात्रों ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन इन 14 छात्रों की कहानी और उनके पीछे खड़े शख्स के बारे में सबको जानना चाहिए।