वास्तविक घटना पर आधारित फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) को अपार सफलता और मिल रही प्रतिक्रियाओं से कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर चुप्पी साधने लोगों के बीच खलबली मच गई है। जहाँ बॉलीवुड गैंग खामोश और अचंभित है, वहीं कश्मीर के राजनेता परेशान हो उठे हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह (Farooq Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mahbooba Mufti) ने फिल्म को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
कश्मीर फाइल्स को लेकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार (16 मार्च) को ट्वीट कर अपनी गलतियों के लिए शर्मिंदा होने के बजाय हिंदुओं की भावनाओं के साथ खेलने का आरोप लगा दिया। महबूबा ने लिखा, “भारत सरकार जिस तरह कश्मीर फाइल्स को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रही है और कश्मीरी पंडितों के दर्द को हथियार बना रही है, उससे उनकी मंशा साफ हो जाती है। पुराने घावों को भरने और दो समुदायों के बीच अनुकूल माहौल बनाने के बजाय जानबूझकर खाई पैदा कर रही है।”
The manner in which GOI is aggressively promoting Kashmir Files & is weaponising pain of Kashmiri Pandits makes their ill intention obvious. Instead of healing old wounds & creating a conducive atmosphere between the two communities, they are deliberately tearing them apart.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 16, 2022
वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्लाह ने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन के लिए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन (Jagmohan) को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि जगमोहन आज इस दुनिया में नहीं हैं, अन्यथा वह हकीकत बताते। फारूक ने कहा कि हर फिल्म में अपनी-अपनी कहानी होती है और हर फिल्म सच्ची हो, यह जरूरी नहीं है।
उन्होंने कहा, “मैं आज इस पूरे प्रकरण की जाँच की माँग करता हूँ। पता चलना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों का पलायन कैसे हुआ? उनकी हत्याएँ क्यों हुई? यह किसकी साजिश थी? इसके लिए एक निष्पक्ष जाँच जरुरी है।” फारूक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से इसकी जाँच कराई जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जगमोहन की फाइल खोलने की भी माँग की। केंद्र सरकार को कश्मीरी पंडितों की कश्मीर में सम्मानजनक और सुरक्षित वापसी के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
बता दें कि 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक जेहाद और आतंकवाद अपने चरम पर पहुँच गया था, तब राज्य के मुख्यमंत्री अब्दुल्लाह ही थे। केंद्र में गृहमंत्री महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद थे। इसी दौरान महबूबा की छोटी बहन रुबिया सईद का अपहरण हुआ था।