अनुपम खेर ने इस कविता में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के दर्द बयां किया। कैप्शन में उन्होंने बताया कि ये कविता एक विस्थापित कश्मीरी पंडित सुनयना काचरू की है।
जितेंद्र नारायण (पूर्व में वसीम रिज़वी) ने कश्मीर में बसने का एलान करते हुए कहा कि 'द कश्मीर फाइल्स' में जो ,दिखाया गया, उसका कई गुना ज्यादा अत्याचार हिन्दुओं ने झेला।