महाराष्ट्र में नासिक पुलिस ने शनिवार (7 दिसंबर 2024) को मिज़ान शेख, अयान शेख, आयेश शाह, शारीक शाह और फहीम शेख पर मामला दर्ज किया है। दरअसल, शौर्य दिवस (6 दिसंबर का वो दिन जब राम जन्मभूमि पर खड़ी बाबरी ढाँचे को ध्वस्त कर दिया गया था) के उपलक्ष्य में उस हिंदू व्यक्ति ने इंस्टाग्राम स्टोरी डाली थी। इसके 5 मुस्लिमों ने उस पर हमला कर दिया था।
पाँचों आरोपितों ने दलित युवक के घर पर पथराव भी किया था। इसके साथ ही उसे डंडों से पीटा था। यह घटना नासिक के निफाड़ के पिंपलगाँव इलाके की है। ऑपइंडिया के पास एफआईआर की कॉपी के अनुसार, पीड़ित की पहचान नयन (सुरक्षा कारणों से नाम बदला गया है) के रूप में हुई है। उसने 6 दिसंबर को शौर्य दिवस के अवसर पर जश्न मनाते हुए अपने इंस्टाग्राम एक स्टोरी शेयर की थी।
इससे पीड़ित का कथित दोस्त मिजान शेख नाराज हो गया। मिजान ने शुरू में पीड़ित को परेशान किया और उस पर कथित ‘जातिवाद’ करने का आरोप लगाया। इसके बाद मिजान ने उसे गाली देते हुए कहा कि उसे ‘जातिवाद’ करने में क्या खुशी मिलती है। इस पर पीड़ित ने कहा कि जातिवाद और शौर्य दिवस मनाने वाली पोस्ट में कोई संबंध नहीं है। इसके बाद आरोपित ने गाली देते हुए पीड़ित पर हमला कर दिया।
वहाँ से दोनों चले गए। कुछ घंटों के बाद नयन अपनी बहन को लेने के लिए स्कूल जा रहा था। इसी दौरान मिजान ने उसे रोक लिया। उसने अयान शेख, आयेश शाह, शरीक शाह और फहीम शेख सहित अपने 15-20 साथियों को भी बुला लिया था। इसके बाद आरोपितों ने नयन पर पथराव किया और शौर्य दिवस मनाने के लिए उसे डंडों से बुरी तरह पीटा।
पीड़ित नयन ने मदद के लिए किसी तरह अपने चचेरे भाई को बुलाया। इसके बाद उसके चचेरे भाई ने उसे अस्पताल पहुँचाया। इस बीच मौका पाकर आरोपित मौके से भाग गए। इस घटना की को लेकर पीड़ित के पिता ने पुलिस में शिकायत दी और शिकायत के आधार पर पुलिस ने सभी 5 आरोपितों के खिलाफ नामजद मुकदाम दर्ज कर लिया।
पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता 2024 की धारा 109, 118(1), 115(2), 352, 351(3), 126(2), 189(2), 191(2), 191(3) और 190 तथा एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वीए) के तहत मामला दर्ज किया है। मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
बता दें कि भारत में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढाँचे को गिराया गया था। इसे शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबरी ढाँचा क्रूर शक्ति का प्रतीक था, जिसने देशी संस्कृति को रौंदते हुए भगवान राम का अपमान किया था। यह अत्याचार और बर्बरता का एक काला प्रतीक था। वहीं, इस्लामवादी इसे ‘काला दिवस’ कहते हैं।