Monday, November 18, 2024
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इस्लामी आतंकवाद पर प्रश्नोत्तर को लेकर भड़की इस्लामी भीड़, प्रकाशन संस्थान के दफ्तर पर हमला: तोड़े फर्नीचर, जलाई किताबें

ये पूरा मामला 2017 का है। ये जवाब उसी साल छपा था। 4 साल बाद उस कंटेंट को लेकर प्रकाशन संस्थान के दफ्तर पर हमला हुआ। राजस्थान पुलिस द्वारा मुहैया कराए गए 3 सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में 'संजीव प्रकाशन' के दफ्तर पर इस्लामी आतंकवाद के उसी कंटेंट को लेकर हमला हुआ।

राजस्थान में मजहब के नाम पर इस्लामी भीड़ द्वारा कानून अपने हाथ में लेने का मामला सामने आया है। राजधानी जयपुर में एक मुस्लिम भीड़ एक किताब में प्रकाशित कंटेंट को लेकर इस कदर नाराज़ और आक्रोशित हो गई कि प्रकाशन संस्थान के दफ्तर पर ही हमला बोल दिया। ये घटना बुधवार (मार्च 16, 2021) को चारदीवारी क्षेत्र में स्थित संजीव प्रकाशन में शाम के समय हुई। वहाँ जम कर तोड़फोड़ मचाई गई।

उक्त प्रकाशन संस्थान द्वारा छापी गई 12वीं की एक पुस्तक में इस्लामी आतंकवाद को लेकर एक चैप्टर था, जिसके कारण सारा विवाद हुआ। हमलावरों के ऑफिस में रखे फर्नीचरों को तोड़ डाला और वहाँ रखी दूसरी किताबों को भी फाड़ दिया। सूचना मिलने पर पुलिस वहाँ पर ज़रूर पहुँची, लेकिन उससे पहले हमलावर अपना काम करके फरार हो चुके थे। वो अपने साथ कई किताबें लूट कर भी ले गए।

इसके बाद इस्लामी समूह ऑफिस के बाहर आ गया और फिर वहाँ सारी किताबों को फाड़ कर रखा गया। फिर उसमें आग लगा दी गई। बेख़ौफ़ बदमाशों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया। पब्लिशिंग मैनेजर विजय शंकर शुक्ला ने बताया कि राजनीतिक विज्ञान की पुस्तक को लेकर बवाल किया जा रहा है, जिसमें इस्लामी आतंकवाद के सवाल पर एक जवाब छपा था और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी वो प्रश्न आया था। उसका कंटेंट इस प्रकार है:

सवाल:इस्लामी आतंकवाद से आप क्या समझते है?
जवाब:इस्लामी आतंकवाद इस्लाम का ही एक रूप है, जो पिछले 20-30 सालों में अत्यधिक शक्तिशाली बन गया है। आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव नहीं होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव होता है। समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता इस्लामी आतंकवाद का मुख्य लक्षण है। मजहब या अल्लाह के नाम पर आत्मघाती हमला और अत्यधिक बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली, और निर्मम नृशंस हत्याएँ करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई है। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया मजहबी व अलगाववादी श्रेणी में आता है

हालाँकि, ये हमला कंटेंट को हटाए जाने और किताबें बाजार से वापस लेने के बावजूद हुई है। पब्लिशिंग मैनेजर का कहना है कि कुछ दिनों पहले जब इस पर आपत्ति आई थी, तभी तमाम पुस्तकों को बाजारों से वापस उठवा लिया गया था और उक्त कंटेंट को हटा दिया गया था। शुक्ला ने कहा कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुँचे, इसीलिए ऐसा किया गया। जबकि बाकी प्रकाशन संस्थानों की पुस्तकों में भी इस सवाल का जवाब यही है।

इतना ही नहीं, संजीव प्रकाशन संस्थान ने इसे लेकर लिखित में माफ़ी भी माँग ली थी। इसके बावजूद उन्हें कुछ दिनों पहले धमकी भरे फोन कॉल्स आए थे। पुलिस कोतवाली में शिकायत करने पर 2-4 जवान भी सुरक्षा के लिए उपलब्ध कराए गए थे। दोपहर 3 बजे 4-4 लोग ऑफिस में आ धमके, जिनके साथ 30-40 और लोग थे जो बार खड़े थे। पुलिस ने इस मामले में 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

ये पूरा मामला 2017 का है। ये जवाब उसी साल छपा था। 4 साल बाद उस कंटेंट को लेकर प्रकाशन संस्थान के दफ्तर पर हमला हुआ। राजस्थान पुलिस द्वारा मुहैया कराए गए 3 सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में ‘संजीव प्रकाशन’ के दफ्तर पर इस्लामी आतंकवाद के उसी कंटेंट को लेकर हमला हुआ। कॉन्ग्रेस विधायक रफीक खान ने इस कंटेंट का मामला राजस्थान की विधानसभा में भी उठाया था और जवाबदेह लोगों पर कार्रवाई की माँग की थी। पुलिस जाँच की बात कह रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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