केंद्र की मोदी सरकार ने मदरसा छात्रों को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अभी तक जो उनकी ओर से 1 से 8 वीं कक्षा के छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती थी वो अब से नहीं मिलेगी।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार मदरसा के कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को जो स्कॉलरशिप देती थी, उसमें उन्होंने अपने हिस्सा देने पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि शिक्षा के अधिकार के तहत ‘पहली से लेकर आठवीं क्लास’ की शिक्षा मुफ्त है। ऐसे में 1 से 5 तक के छात्रों को 1000 रुपए और 6 से 8वीं तक के बच्चों को अलग-अलग कोर्स के हिसाब से छात्रवृत्ति देने पर रोक लगाई गई। अब केवल 9 वीं और 10वीं के छात्रों को पहले की तरह स्कॉलरशिप मिलेगी।
मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक मिलने वाली स्कॉलरशिप पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक#n27news #HindiNews #Digital #NEWS #NewsUpdate #madarsa #scholarship pic.twitter.com/eOB2qzXOax
— N27 News (@N27NEWS) November 28, 2022
रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले वर्ष 16558 मदरसों के 4 से 5 लाख बच्चों को स्कॉलरशिप मिली थी। इस साल भी तमाम बच्चों ने इसके लिए आवेदन किया। हालाँकि केंद्र की ओर से फैसला आया कि अब से ये स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी।
इस संबंध में अल्पसंख्यक विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया कि शिक्षा के अधिकार के तहत क्लास 1 से लेकर क्लास आठवीं तक पढ़ाई फ्री है। विद्यार्थियों को जरूरत की चीजें भी दी जाती हैं। इसलिए केवल 9वीं और 10वीं के बच्चों को ही छात्रवृत्ति मिलेगी। उन्हीं के आवेदन स्वीकारे जाएँगे।
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के 269 मदरसों में भी 1 से 8वीं क्लास के लगभग 15 हजारों छात्रों की स्कॉलरशिप रोकी है। यह फैसला केंद्र सरकार के फैसले के बाद लिया गया है।
मदरसों को लेकर विवाद
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय में देश भर के मदरसे काफी कारणों से चर्चा में रहे है। उत्तर प्रदेश में तो सर्वे के बाद यह तक पता चला था कि राज्य में 7500 से अधिक मदरसे बिन मान्यता के चल रहे थे। सर्वेक्षण के दौरान कहा गया था कि ये मदरसे दान पर चल रहे हैं।
ऐसे में योगी सरकार ने फैसला किया था कि वो इन दान के स्रोत की जाँच करवाएगी। शुरुआती पूछताछ में सामने आया है कि कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, सऊदी और नेपाल से इन्हें मदरसा संचालित करने के लिए जकात दी गई थी।