Sunday, September 8, 2024
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‘जो हिन्दू धर्म छोड़ कर गए हैं वो वापस आएँ’: ‘अली मौला’ भूल मोरारी बापू ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में लगाई ‘घर वापसी’ की दहाड़, पूछा – राम नाम लेने में शर्म कैसी?

मुरारी बापू अपने अली मौला के कारण सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहे थे। मुरारी बापू ने व्‍यासपीठ में कहा था, “त्रिपुंडधारियों और बाबाओं को उमर खैय्याम और रूमी पढ़ना चाहिए, तब पता लगेगा बंदगी क्या है!”

देश के प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू आजकल इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रामकथा कह रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के अनुयायियों को आत्मविश्वास के साथ खुद को हिंदू कहना चाहिए और राम का नाम लेना चाहिए। एक वायरल वीडियो में उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर गए लोगों को घरवापसी करने के लिए कहा। इसको लेकर महामंडलेश्वर चिदंबरानंद सरस्वती ने उन पर तंज कसा है।

रामकथा के लिए विख्यात मुरारी बापू ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में कहा, “पूरे विश्व में जहाँ भी हिंदू हैं उन्हें राम का नाम लेने में और खुद को हिंदू कहने में झिझक क्यों है?” इसके लिए उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने खुद को हिंदू कहा था।

मुरारी बापू ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री का हवाला देते हुए कहा “हमें गौरव है, हम सनातन धर्म से हैं। और क्यों नहीं! ऋषि जी, जो वर्तमान ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं, ने कहा कि वह यहाँ एक हिंदू के रूप में आए हैं। आप सभी (हिंदू पहचान को लेकर) इतने शर्मिंदा क्यों हैं? गाँधी जी ने और स्वामी विवेकानन्द जी ने भी कहा कि वे हिंदू हैं।”

राजा रामचंद्र की महिमा का बखान करते हुए मुरारी बापू ने कहा, “हमारे राम सीमाओं से परे हैं। उनकी दिव्यता की कोई सीमा नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “हिंदू होना खुले दिमाग और व्यापक स्वीकृति का पर्याय है। हिंदू धर्म और सनातन धर्म के सिद्धांत विशाल आकाश से भी अधिक व्यापक हैं।” इस दौरान उन्होंने ‘जय सियाराम’ का नारा भी लगवाया।

मुरारी बापू का बयान मीडिया में आने के बाद महानिर्वाणी अखाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती ने उन पर तंज कसा। मुरारी बापू का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि एक विरोध में कितना बदलाव हो गया। वीडियो में मोरारी बापू कहते हैं, “अपना सनातन हिंदू धर्म छोड़कर कहीं और गए हों तो लौट आओ। व्यासपीठ अपने घर आपको बुला रही है।”

इसको लेकर चिदंबरानंद ने X पर पोस्ट में लिखा, “जो व्यासपीठ पहले अली मौला गा रही थी, अब वही व्यासपीठ अपना सनातन हिन्दू धर्म छोड़कर दूसरी जगह चले जाने वालों को वापस बुला रही है। जो पूछते थे कि अली मौला गाने वाले मुरारी बापू का विरोध करके क्या मिला, उन्हें देखना चाहिए कि एक विरोध से कितना बदलाव हो गया।”

बताते चलें कि मुरारी बापू अपने अली मौला के कारण सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहे थे। मुरारी बापू ने व्‍यासपीठ में कहा था, “त्रिपुंडधारियों और बाबाओं को उमर खैय्याम और रूमी पढ़ना चाहिए, तब पता लगेगा बंदगी क्या है!” इसके बाद उन्हें संत समाज का गुस्‍सा झेलना पड़ा था। विवाद में आने के बाद उन्होंने स्वयं का बचाव करते हुए दूसरे धर्माचार्यों पर ताने मारने और उन्हें अज्ञानी कहने लगे थे।

हालाँकि, अली मौला की बात करने वाले मोरारी बापू अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो व्यासपीठ पर बैठते हैं। कथावाचन और भजन गाने वाले कई कथावाचक और कथावाचिकाओं से यूट्यूब भरे हुए हैं, जो उर्दू के शब्दों के साथ शायरी और कौव्वाली के अंदाज में भजन गाते हैं। इनमें एक एक चित्रलेखा शर्मा भी हैं, जो देवी चित्रलेखा के नाम से प्रसिद्ध हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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