बाबर के वंशज और मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर के परपोते याकूब हबीबुद्दीन उर्फ़ प्रिंस तुसी ने भरोसा जताया है कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदुओं के हक में आएगा। न्यूज़ एक्स मीडिया चैनल से बातचीत में तुसी ने इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की दावेदारी खारिज करते हुए कहा कि वह किसी तरह से भी पक्षकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर इस विवाद पर अदालत का फैसला बाबर (मंदिर तोड़कर मस्जिद खड़ी करने वाले) के पक्ष में आता भी है तो यह बात 100 प्रतिशत सच है कि हम यह ज़मीन भारत सरकार को सौंप देंगे। तुसी ने बताया कि बाबर और मुग़ल वंश के बाद अंग्रेजों की ईस्ट इण्डिया कंपनी ने इस ज़मीन के मालिकाना हक़ पर कब्ज़ा कर इसे हथिया लिया था। ईस्ट इण्डिया कंपनी के बाद अब इस ज़मीन को भारत सरकार को दे दिया जाना चाहिए।
प्रिंस ने कहा “मुझे लगता है कि अदालत का फैसला हिन्दुओं के पक्ष में आएगा। यह सिर्फ हिन्दू या हिंदुस्तान का नहीं, बल्कि आस्था का मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट भी इस पर विचार करेगा, क्योंकि भगवान राम सिर्फ हिन्दुओं के नहीं बल्कि पूरे संसार के भगवान हैं। फैसला जो भी आए हम सभी को उसे स्वीकार करना होगा।”
तुसी ने कहा कि आस्था को देखते हुए अगर फैसला हिन्दुओं के पक्ष में आता है तो वहाँ (विवादित स्थल पर) एक भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले का सम्मान करने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामिक कानून के मुताबिक दूसरे समुदाय को वहाँ मस्जिद बनाने की इजाज़त ही नहीं है। इस इंटरव्यू में विवादित ज़मीन पर तुसी के उत्तराधिकार के दावे को लेकर भी सवाल किया गया। इसके उत्तर में उन्होंने कहा कि 16वीं शताब्दी में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने संभवतः एक मंदिर को तोड़कर वहाँ पर मस्जिद बनवाई थी, एएसआई पहले ही इस बात को प्रमाणित कर चुका है।
उन्होंने कहा “यह भूमि एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है। प्राइवेट प्रॉपर्टी पर मुस्लिम या उसके संगठन दावा नहीं ठोक सकते। इस सम्बन्ध में वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में कानूनी कागजात भी पेश नहीं कर सका है।” साक्षात्कार में तुसी ने बताया कि भारत के राष्ट्रपति से अपनी भेंट के दौरान उन्होंने कहा था कि बाबर एक सेक्युलर शासक था, जबकि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाने में उसके सेनापति मीर बाकी का हाथ था। तुसी ने कहा कि इस्लाम दूसरे धर्मों का आदर करने की शिक्षा देता है। इस मामले में अदालत का फैसला आने से पूर्व दोनों ही सम्प्रदायों हिन्दुओं और मुस्लिमों को तुसी ने फैसला स्वीकार करने के साथ शांति बनाए रखने की अपील की है।
बता दें कि तुसी अपने पूर्वजों की गलती के लिए पूरे हिन्दू समाज से माफ़ी भी माँग चुके हैं। वे अक्सर राम जन्मभूमि को लेकर दिए अपने बयानों के चलते चर्चाओं में रहते हैं। कुछ ही वक़्त पहले उन्होंने कहा था कि अगर राम मंदिर बना तो सबसे पहली ईंट वे खुद रखेंगे।