‘मुंबई तरुण भारत’ के संपादक तरुण शेलार को पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए दर्पणकार बालशास्त्री जांभेकर साहित्य पुरस्कार दिया जा रहा था। शुक्रवार (5 जनवरी, 2024) को आयोजित दर्पणकर बालशास्त्री जांभेकर मेमोरियल पुरस्कार कार्यक्रम में मंच से कार्यक्रम के अध्यक्ष, मराठी दैनिक समाचार पत्र ‘देशोन्नति’ के संपादक – प्रकाश पोहारे द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाना था। इस दौरान मंच से सभी लोगों ने अपनी राय रखी, जिसमें प्रकाश पोहारे ने तमाम मुद्दों के साथ ही भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठा दिया।
इस बात से नाराज तरुण शेलार ने मंच से ही नाराज़गी जताई और उनके (प्रकाश पोहारे) हाथों पुरस्कार लेने से ही मना कर दिया। इसके बाद मराठी दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक प्रहार’ के संपादक सुकृत खांडेकर ने दर्पणकार बालशास्त्री जांभेकर साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया।
महाराष्ट्र में 6 जनवरी को बालशास्त्री जांभेकर द्वारा शुरू की गई अंग्रेजी और मराठी पत्रिका ‘दर्पण’ के पहले प्रकाशन की स्मृति में पत्रकार दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें नई मराठी पत्रकारिता का अग्रदूत भी कहा जाता है। उन्होंने 6 जनवरी 1832 को ‘दर्पण’ शुरू किया। मुंबई मराठी पत्रकारिता लेखक संघ (2001 में स्थापित) अपना स्थापना दिवस मनाता है और 5 जनवरी को बालशास्त्री जांभेकर की स्मृति में हर साल एक पत्रकार को पुरस्कार देता है। इस वर्ष यह पुरस्कार किरण शेलार को प्रदान किया जा रहा है।
महा एमटीबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम का आयोजन मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के सुरेंद्र गावस्कर मेमोरियल हॉल में किया गया था। इस अवसर पर पत्रकारों और लेखकों का एक लिटरेचर-फेस्टिवल भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ भालचंद्र मुनगेकर थे। मंच पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों में सिसिलिया कार्वाल्हो और सुकृत खांडेकर शामिल थे। इस कार्यक्रम का अध्यक्ष प्रकाश पोहरे को बनाया गया था। मुंबई के दादर इलाके में इस कार्यक्रम के लिए मुंबई मराठी पत्रकारिता लेखक संघ के अध्यक्ष एकनाथ बिरवाडकर और संघ के अन्य पदाधिकारी और कई पत्रकार, लेखक और अन्य लोग उपस्थित थे।
पुरस्कार समारोह से पहले सभी अतिथियों ने अपने विचार रखे। प्रकाश पोहरे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अपने भाषण के दौरान, उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया और राम मंदिर के साथ-साथ अयोध्या में मंदिर के आगामी अभिषेक समारोह के लिए चल रही भव्य तैयारियों की भी आलोचना की। इसके बाद प्रकाश पोहरे ने दलितों, जनजातीय समाज, वंचितों आदि की समस्याओं पर बात रखी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण शेलार खड़े हुए और कहा, ”इस देश की जो समस्याएँ पहले के वक्ताओं ने उठाई हैं, वे वास्तविक हैं और भगवान श्री राम का अस्तित्व भी वास्तविक है। इसलिए मुझे उन लोगों से पुरस्कार नहीं चाहिए जो मानते हैं कि श्री राम एक कल्पना हैं, मैं इसे स्वीकार नहीं करूँगा। हालाँकि, मैं मराठी पत्रकारिता के पुरोधा बालशास्त्री जाम्भेकर का अपमान नहीं करना चाहता। इसलिए मुंबई मराठी पत्रकारिता लेखक संघ को यह निर्णय लेना चाहिए कि पुरस्कार देना है या नहीं।”
पुरस्कार स्वीकार न करने के किरण शेलार के रुख का सभागार में मौजूद लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे के साथ भव्य स्वागत किया। दर्शकों ने भी उन्हें अवॉर्ड से ज्यादा इस स्टैंड के लिए बधाई दी। इसके बाद आयोजकों ने किरण शेलार को ‘प्रहार’ के संपादक सुकृत खांडेकर के हाथों पुरस्कार प्रदान किया। बाद में किरण शेलार ने इस घटना के बारे में अपने सोशल मीडिया पेज पर विस्तार से जानकारी दी।
ये समाचार मूल रूप से गोपाल तिवारी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।