महाराष्ट्र में मुंबई के पालघर जिले के पश्चिम विरार स्थित विजय वल्लभ कोविड केयर सेंटर के आईसीयू में लगी भीषण आग से 13 मरीजों की मौत हो गई। बताया गया कि COVID-19 रोगियों की जहरीले धुएँ के साँस लेने से मृत्यु हो गई। उद्धव ठाकरे सरकार ने इस मामले की जाँच के आदेश भी दिए।
जाँच में जो बात सामने आई है, वो हैरान कर देने वाली है। विजय वल्लभ कोविड केयर अस्पताल में फायर ऑडिट किया गया था, लेकिन उसे अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिला था। मतलब ये कि अस्पताल फायर डिपार्टमेंट की एनओसी के बिना ही संचालित हो रहा था।
अस्पताल के मालिक, कर्मचारियों के खिलाफ FIR
मिरर नाउ के अनुसार, पुलिस ने अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज को जब्त कर लिया है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस दौरान आईसीयू वार्ड में कोई स्टाफ था या नहीं। कहा जा रहा है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस दौरान आईसीयू में एक डॉक्टर और एक वार्ड ब्वॉय मौजूद था। हालाँकि, मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ था, उस दौरान कोई भी कर्मचारी अस्पताल में मौजूद नहीं था।
After 15 #Covid19 patients lost their lives in the #VirarHospitalfire yesterday, no arrests have been made. Investigations reveal that a fire audit was conducted in the hospital, but they did not get a No Objection Certificate.@mayuganapatye reports! pic.twitter.com/0kiRzob00Y
— Mirror Now (@MirrorNow) April 24, 2021
मुंबई पुलिस ने अस्पताल के मालिक, प्रशासकों, डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338 और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। हालाँकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
संजय कुमार पाटिल, डीसीपी (जोन 2) ने कहा, “एफआईआर में, नगरपालिका ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने जरूरी सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया था। इसी कारण यह हादसा हुआ। हमने दमकल विभाग को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है। हम पता लगा रहे हैं कि क्या मालिक के पास अस्पताल चलाने के लिए सभी जरूरी लाइसेंस हैं?”
विरार अस्पताल हादसा
रिपोर्टों के अनुसार, सुबह 3 बजे के बाद अस्पताल के एयर कंडीशनिंग आईसीयू में आग लगी थी। वहाँ 17 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा था। आग लगने के बाद वसई विरार निगम दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुँची और आग को बुझाया। हालाँकि, दमकल विभाग जब तक आग पर काबू पाता, तब तक 13 लोग अपनी जान गँवा चुके थे।
इस घटना के बाद, लोग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकार की राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को हैंडल नहीं पाने को लेकर जमकर आलोचना कर रहे हैं।
ऑपइंडिया ने महाराष्ट्र में पिछले 4 महीनों में इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग की थी। राज्य सरकार की अक्षमता के कारण महाराष्ट्र में पिछले 4 महीनों में अस्पताल में हुए हादसों में कम से कम 57 लोगों की मौत हुई है।
वहीं महाराष्ट्र सरकार लोगों की आलोचनाओं से खुद को बचाने के लिए कोरोना संकट का ठीकरा केंद्र सरकार के सिर फोड़ रही है। जितनी उत्सुकता उद्धव सरकार ने केंद्र पर दोषारोपण करने में दिखाई है, उतनी उत्सुकता और जिम्मेदारी राज्य के अस्पतालों में होने वाली दुर्घटनाओं में नहीं दिखाई है। इतना सब कुछ होने के बाद भी उद्धव सरकार के राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने इस तरह की घटनाओं को कोई महत्व नहीं दिया है।