एक मुस्लिम व्यक्ति ने दारुल उलूम देवबंद को एक पत्र लिखा। इस पत्र में मुस्लिम व्यक्ति ने गंगा-जमुनी तहजीब को ध्यान में रखते हुए एक हिंदू महिला के साथ प्रस्तावित अपने विवाह को लेकर इस्लामी मदरसा को मार्गदर्शन करने के लिए कहा। इस्लामी मौलवियों से पूछे सवालों में मुस्लिम व्यक्ति ने बताया कि उसने एक हिंदू महिला को शादी के लिए प्रपोज किया। उसने आगे कहा कि महिला उसके साथ शादी करने के लिए तो तैयार हो गई, लेकिन उसने इसके लिए कुछ शर्तें रखी है।
मुस्लिम व्यक्ति के सामने हिंदू महिला द्वारा रखी गईं आठ शर्तें इस प्रकार हैं–
- वह शादी से पहले या बाद में एक मुस्लिम के रूप में अपना धर्म परिवर्तन नहीं करवाएगी। वह जिंदगी भर हिंदू ही रहेगी।
- उसे बिना किसी बाधा के ससुराल में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा करने की अनुमति दी जाएगी और कोई भी उसके धर्म और विश्वास में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
- शादी के बाद उसका नाम मुस्लिम नाम में नहीं बदला जाएगा।
- उसे कभी भी बुर्का पहनने के लिए नहीं कहा जाएगा।
- मैं (उसका पति) दूसरी पत्नी को तब तक स्वीकार नहीं कर सकता, जब तक वह मेरी पत्नी रहेगी।
- तलाक के लिए तीन तलाक की प्रक्रिया हमारे मामले में लागू नहीं होगी। हमारे मामले में हिंदुओं में होने वाली तलाक की प्रक्रिया लागू होगी।
- चूँकि लड़की का परिवार शादी के बाद उसके साथ सभी संबंधों को तोड़ देगा, इसलिए वह चाहती है कि मेरे परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के सामने शादी करने से पहले निकाहनामा की सामान्य प्रक्रिया के माध्यम से शादी की जाए और निकाहनामा में उपरोक्त शर्तें होनी चाहिए।
- यह विवाह कानूनी रुप से वैध हो, इसके लिए वह चाहती है कि मैं शादी से पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम धार्मिक अधिकारियों से लिखित अनुमति और अनुमोदन ले लूँ।
हिंदू महिला की शर्तों के अनुसार, मुस्लिम व्यक्ति ने इस्लामी मौलवियों को दो प्रश्नों का एक सेट दिया। उन्होंने कहा, “मैं फिर से आपसे अनुरोध करता हूँ कि हमें जल्द जवाब दें, ताकि हम निर्णय ले सकें कि हम शादी करें या फिर एक-दूसरे को भूल जाएँ। आपके शीघ्र जवाब के लिए मैं जीवन भर आपका आभारी रहूँगा।”
मुस्लिम लड़के द्वारा पूछे गए प्रश्न इस प्रकार हैं-
- क्या उसकी शर्तों के साथ की गई शादी मुस्लिम समुदाय के लिए स्वीकार्य होगी और निकाहनमा में उसकी शर्तों को उल्लेखित किया जा सकता है?
- क्या इस तरह की शादी कानूनी और हमारे परिवार के सदस्यों के लिए उचित होगी?
मुस्लिम लड़के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब काफी जल्दी आ गए। इस्लामी मौलवी ने इसका उत्तर देते हुए स्पष्ट कर दिया कि ऐसा मिलन इस्लाम में स्वीकार्य नहीं है। दारुल उलूम देवबंद ने कहा, “ये सभी शर्तें इस्लाम के खिलाफ हैं।” उन्होंने कहा, “शर्तें निकाह पत्र में लिखा हो या नहीं हो, मगर यह मान्य नहीं होगा।” मुस्लिम व्यक्ति को सलाह दी गई- “एक दूसरे को भूल जाओ और आपको इस्लाम धर्म के खिलाफ कोई भी काम नहीं करना चाहिए।” दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम लड़के को सांत्वना देते हुए कहा, “धैर्य रखो, आपको जल्द ही शादी के लिए सुंदर और मनपसंद मुस्लिम लड़की मिल जाएगी।”
मुस्लिम पुरुष और दारुल उलूम देवबंद के बीच इस बातचीत से स्पष्ट है कि हाल ही में तनिष्क के विज्ञापन में लव जिहाद को सामान्य बनाने के लिए जिस तरह की हिंदू महिला और मुस्लिम पुरुष के बीच विवाह दिखाया गया है वह पूरी तरह से काल्पनिक है।
ऐसा मिलन, जहाँ मुस्लिम परिवार, हिंदू परंपराओं का जश्न मनाता है, वास्तविक जीवन में ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है क्योंकि शादी के लिए हिंदू महिला को इस्लाम कबूलना अनिवार्य है। हमने मुस्लिम लड़के से शादी के बाद हिंदू महिला द्वारा धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर हत्या, बलात्कार जैसे कई जघन्य अपराध होते देखे हैं।