कुछ समय पहले झारखण्ड के श्रीराम आश्रम बस्ती से खबरें आई कि एक मजहबी भीड़ ने वहाँ पर आतंक मचा रखा है। वहाँ के लोगों का कहना था कि समुदाय विशेष का एक गिरोह उनकी बेबसी और लाचारी (इस आश्रम में ज्यादातर लोग दिव्यांग व कुष्ठ रोगी) का फ़ायदा उठाते हैं और उन पर अत्याचार करते हैं।
इस्लामी भीड़ के इस आतंक की वज़ह से पिछले दिनों 43 परिवार (100 से ज़्यादा लोग, जिनमें अधिकतर दिव्यांग या कुष्ठ रोगी हैं) अपने घरों को छोड़ भाग खड़े हुए थे। ऐसे में आश्रम में जाकर पनाह लेने वाले लोगों के घरों की सुरक्षा का पुलिस ने पूरा इंतज़ाम किया था। लेकिन आतंक मचा रहे इस गिरोह पर कोई खासा फ़र्क़ पड़ता नहीं दिखा। रिपोर्ट के मुताबिक समुदाय विशेष के ही एक व्यक्ति ने तो लोगों को यह कहकर धमकाया कि पुलिस के जाने के बाद वो एक-एक को मार डालेगा।
इंसानियत को शर्मसार करने वाले इस मामले पर बर्मामाइंस पुलिस का रवैया भी शक़ के घेरे में है। इस थाना के अंतर्गत आने वाली श्रीराम बस्ती में पुलिस के पहरे के बाद भी चोरों ने चार घरों के ताले और खिड़की को तोड़कर हज़ारों रुपए का सामान चुरा लिया। बता दें कि इस मजहबी भीड़ के डर से भाग खड़े हुए स्थानीय लोगों के घर में ताला लगा हुआ था, जिन्हें तोड़कर उत्पातियों ने इस वारदात को अंजाम दिया है।
भीड़ के आतंक से परेशान लोगों की परेशानी उस समय और भी ज्यादा बढ़ गई, जब इन घटनाओं की सूचना बर्मामाइंस के थाना प्रभारी को दी गई। मदद करने की जगह जनाब ने लोगों को नसीहत दी कि जब आप लोग अपने घरों में ही नहीं रहेंगे तो क्या होगा? थाना प्रभारी की बात सुनने के बाद लोगों में गुस्सा उमड़ आया, जो कि बेहद स्वभाविक भी है।
आपको बता दें कि दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार इस्लामी भीड़ ने इन आश्रम में रह रहे जिन परिवारों पर हमला करना शुरू किया, उस परिवार में कुछ दिव्यांग लोगों के साथ कुष्ठ रोगी भी रहते थे।
गाँव की एक लड़की रश्मि महतो का कहना है, “हम लोग अपंग हैं, इसलिए हम पर इन लोगों द्वारा (मुस्लिमों) हमला किया जाता है। ये लोग हमारी लाचारी का फायदा उठाते हैं और हम पर अत्याचार करते हैं। ये हम पर हावी होते हैं और हमें मारते-पीटते हैं। जिसकी वजह से 8-10 महिलाएँ भी घायल हुईं हैं। पुलिस सुरक्षा के बावजूद भी ये लोग हमें मारने की धमकी देते हैं। ये कहते हैं कि पुलिस तुम लोगों को सिर्फ कुछ दिन तक ही बचा पाएगी, बाद में हम तुम्हें तुम्हारे घर में घुसकर मारेंगे।”
इस साम्प्रायदिक झगड़े की शुरुआत उस समय हुई, जब वहाँ से एक बच्चा समुदाय विशेष की बस्ती में अपनी पतंग लेने गया। हालाँकि, उस समय ये बात शांत हो गई। लेकिन, इस घटना ने कुछ दिन बाद ख़तरनाक हिंसात्मक रूप ले लिया और वहाँ पत्थरबाज़ी शुरू हो गई।
इस घटना के बाद श्रीराम सेवाश्रम के निवासी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुँचे। जिसमें उन्होंने पुलिस को बताया कि वो लोग किस तरह बस्ती में आकर उन लोगों का शोषण करते हैं।
आश्रम में रह रही महिला ने बताया कि वो लोग आकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करके उन्हें ज़लील करते हैंं। वो अपनी ताकत का बख़ान करते हैं और कहते हैं कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। वो मंदिरों पर पत्थरबाज़ी करते हैं और फिर घरों पर भी पत्थर फेंकने से नहीं चूकते हैं।
अपने आतंक से लोगों को बेघर करके भी उन्हें शांति नहीं मिली है। अब ये लोग घरों में चोरी करने पर आमादा हो चुके हैं। अपने घर में चोरी की खबर सुनने के बाद वहाँ सालमी बोयपाई नाम की एक महिला बेहोश होकर गिर गई। वह इस घटना से इतनी आहत हुई कि ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने और रोने लगी। आखिर किसी को भी दुख क्यों नहीं होगा, इंसान अपनी मेहनत से जमा-पूंजी संचय करता है और कोई उसे लूट ले जाता है। सालमी ने अपने घर में छिपाकर पायल, कान की बालियाँ, मेडल और रुपए रखे थे, जो सब चोरी हो गए। सालमी को इस बात का इतना झटका लगा कि उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया।
गांव में हुई इस चोरी में सालमी के साथ रायबारी दास, बुचिया देवी तथा सोमवारी सोरेन के घरों को भी चोरों ने अपना निशाना बनाकर लूटा। इस घटना के बाद सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बस्ती के नीचे की ओर पुलिस का अस्थायी कैंप है। जिसकी वजह से इस घटना पर काफ़ी सवाल खड़े होते हैं।