हलाल सर्टिफिकेट देने के मामले में उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम मजहबी उलेमा का नाम सामने आया है। इसको लेकर यूपी STF को कई अहम साक्ष्य मिले हैं। इसको लेकर पिछले दिनों चार गिरफ्तार लोगों गिरफ्तार किया गया था। उनसे भी कुछ बेहद महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली हैं। अब STF इस उलेमा की कुंडली खंगालने में लग गई है। हालाँकि, उस उलेमा का नाम अभी सामने नहीं आया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सोमवार (12 फरवरी 2024) को हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना हबीब युसूफ पटेल, उपाध्यक्ष मौलाना मुईदशीर सपडीहा, जनरल सेक्रेटरी मुफ़्ती ताहिर जाकिर और कोषाध्यक्ष मोहम्मद अनवर खान को गिरफ्तार किया है। ये हलाल सर्टिफिकेट देने के नाम पर ‘हराम’ की कमाई कर रहे थे।
इन लोगों के पास न कोई लैब थी, न वो किसी सामान की टेस्टिंग करते थे, बस 10 हजार लिया और सर्टिफिकेट दे दिया। मुंबई में बैठकर पैसे बना रहे ऐसे ही मौलानाओं की चौकड़ी को यूपी एसटीएफ ने पहले तो पूछताछ के लिए बुलाया, और जब पूछताछ में उन्हें पूरी तरह से बेनकाब कर दिया, तो फिर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया।
दरअसल, इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई जैसी मुस्लिम संस्थाएँ कंपनियों को हलाल प्रमाण पत्र दे रही थीं। इस प्रमाण पत्र का उद्देश्य यह बताना था कि ये सारे प्रोडक्ट मुस्लिमों द्वारा शरीयत के तहत तैयार किया गया है और इसे मुस्लिम इस्तेमाल कर सकते हैं।
STF की जाँच और पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ में सामने आया है कि ये लोग खाड़ी देशों में अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए हलाल प्रमाण पत्र जारी करते थे। कंपनियों द्वारा पैसे देते ही ये लोग बिना किसी जाँच के हलाल प्रमाण पत्र दे देते थे। दरअसल, हलाल प्रमाण पत्र होने से खाड़ी देश और मुस्लिम समाज के लोग बिना किसी रोक-टोक के इनका माल खरीदेंगे।
STF ने हलाल प्रकरण से जुड़े आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज कराने के साथ उनके सहयोगियों की धरपकड़ में लगी है। साथ ही इनके लेनदेन करने वालों की मंशा का भी पता लगाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक यह रकम देश के साथ विदेशी खातों में भी भेजी जा रही थी। जिससे इसका देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल करने की बात सामने आ रही है।
STF के एक अधिकारी के मुताबिक, कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट देकर ये लोग मोटा पैसा बना रहे थे। अब STF इस बात की भी जाँच की जा रही है कि इन पैसे से टेरर फंडिंग से लेकर एक विशेष धर्म के लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए तो नहीं की जा रही थी। अब तक करीब 20 कंपनियों के नाम सामने आए हैं, जिसके साथ ये लोग लेनदेन कर रहे थे।
यूपी एसटीएफ ने आरोपितों के बैंक खाते फ्रीज करा दिए हैं। उनके लेनदेन का विवरण भी जुटाया जा रहा है। इससे पता चल सकेगा कि इन खातों में कहाँ-कहाँ से और किन-किन लोगों ने पैसे भेजे हैं। इसके साथ ही इन पैसों को आरोपितों ने किन-किन लोगों एवं संस्थाओं को हस्तांतरित किया, इसकी भी जाँच की जाएगी।
बता दें कि पिछले साल योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले सामान बेचने पर जेल भेजने का फैसला किया था। प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि हलाल सर्टिफिकेट उत्पाद की गुणवत्ता से संबंधित नहीं है। ऐसे में ये भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। जिन उत्पादों पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका उल्लेख राज्य सरकार के पत्र में किया गया है।
इस पत्र में बताया गया है कि डेरी उत्पाद, चीनी, बेकरी उत्पाद, पिपरमिंट ऑयल, रेडी टू ईट सेवरीज व खाद्य तेल आदि के लेबल पर हलाल प्रमाणन का उल्लेख किया जा रहा है, जो कि गलत है। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि इन उत्पादों के लिए एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India) प्रमाण पत्र ही काफी है।