अयोध्या मामले की सुनवाई ने कुछ क्षणों के लिए अप्रिय मोड़ ले लिया जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस अशोक भूषण पर आक्रामक होने का आरोप लगा दिया। उनके इस आरोप से हैरत में पड़ी अदालत में जस्टिस भूषण के साथ ही मामले की सुनवाई कर रही बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सीएस वैद्यनाथन ने तुरंत जस्टिस भूषण का बचाव किया, और अंततः राजीव धवन को माफ़ी माँगनी पड़ी।
‘साक्ष्य’ की परिभाषा बदलने की कोशिश
रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का विरोध करने के बावजूद रामभक्त होने का दावा कर चुके सुप्रीम कोर्ट में वकील राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष की ओर से बहस को आगे बढ़ाते हुए दावा किया कि केंद्रीय गुंबद की पूरी कहानी ही 19वीं शताब्दी में गढ़ी गई थी। हिन्दुओं के केंद्रीय गुंबद के नीचे पूजा करने का कोई सबूत नहीं है। इस पर जस्टिस भूषण ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पेश एक गवाह की गवाही का ज़िक्र किया जिसने वहाँ पूजा करने का दावा किया था। “यह कहना सही नहीं होगा कि कोई साक्ष्य है ही नहीं।”
इसपर राजीव धवन ने कहा कि वे साक्ष्य को तोड़-मरोड़ नहीं रहे हैं, जिसपर भूषण ने जवाब दिया कि जो है, वह है।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए भूषण ने कहा कि यद्यपि इस गवाही का हिन्दू पक्ष ने उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह हाई कोर्ट के निर्णय का हिस्सा है। अतः ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट इसके बारे में सवाल पूछ ही नहीं सकता। इसी पर धवन ने कहा कि उन्हें जस्टिस भूषण के ‘टोन’ में आक्रामकता दिख रही है। तुरंत ही जस्टिस चंद्रचूड़ और सीएस वैद्यनाथन ने जस्टिस भूषण का बचाव किया। इसके बाद धवन ने माफ़ी माँग ली।
#RamMandir – #BabriMasjid: Justice Chandrachud and CS Vaidyanathan also come to the defence of Justice Bhushan.
— Bar & Bench (@barandbench) September 19, 2019
Rajeev Dhavan apologises.
इसके बाद भी हालाँकि अपनी बात पर अड़े रहते हुए धवन ने दावा किया कि ऐसे गवाह पर, जिसे आज कुछ याद ही नहीं है, विश्वास नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस गवाही के साक्ष्य होने पर भी सवाल उठाए।
इसके बाद राजीव धवन की बहस कुछ समय और चली, और उसके बाद पीठ लंच के लिए उठ गई।