Sunday, November 17, 2024
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गुजरात के नरोदा गाम केस में सभी 68 आरोपित बरी, अहमदाबाद की विशेष कोर्ट का फैसला: पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी थे मुख्य अभियुक्त

इससे पहले गुजरात की एक अदालत ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कलोल में अलग-अलग घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के 12 से अधिक लोगों की हत्या और सामूहिक बलात्कार के सभी 26 आरोपितों को बरी कर दिया था। इस मामले के कुल 39 अभियुक्तों में से 13 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। बाकी 13 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।

साल 2002 में हुए गुजरात दंगे के दौरान हुई नरोदा ग्राम हिंसा के मामले में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी सहित सभी 68 आरोपित बरी हो गए हैं। गुजरात की स्पेशल कोर्ट ने 21 साल के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार (20 अप्रैल) को अपना फैसला सुनाया। इस हत्याकांड में 11 लोगों की मौत हुई थी।

नरोदा गाँव में एक समुदाय के 11 लोगों की हत्या के मामले में कुल 86 लोगों को आरोपित किया गया था। इसमें माया कोडनानी मुख्य आरोपित थीं। हालाँकि, 13 साल चले लंबे ट्रायल के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, विशेष कोर्ट के प्रिसिंपल सेशंस जज एसके बक्शी ने शाम 5:40 बजे जैसे ही अपना फैसला सुनाया, कोर्ट के बाहर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगने लगे।

दरअसल, इस मामले में 16 अप्रैल 2023 को सुनवाई पूरी हो गई थी। इसके बाद राजधानी अहमदाबाद स्थित विशेष कोर्ट के प्रिसिंपल सेशंस जज एसके बक्शी ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने की तारीख 20 अप्रैल निर्धारित की गई थी। इस दौरान कोर्ट में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सिर्फ वकील और केस से जुड़े लोग ही अंदर जा सकते थे।

गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से रामभक्तों को लेकर लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई थी। इसमें बच्चे एवं महिलाओं सहित 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। ये आग एक समुदाय के लोगों ने एक साजिश के तहत लगाई थी।

इस नृशंस हत्याकांड के बाद 28 फरवरी 2002 को गुजरात बंद की घोषणा की गई। इस दौरान अहमदाबाद सहित पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों के दौरान ही 28 फरवरी को नरोदा गाँव में मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों को कथित तौर पर जिंदा जलाकर मार दिया गया था। उन्होंने कहा था कि कोडनानी को उन्होंने विधानसभा में देखा था।

अमित शाह ने कोर्ट को कहा था कि घटना वाले दिन उन्होंने माया कोडनानी को सुबह 8:40 बजे गुजरात विधानसभा में देखा था। इसके बाद 11 बजे से 11:30 बजे तक उन्हें अमहदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में देखा था। हालांकि, अमित शाह ने अपनी गवाही में यह भी कहा था, “मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हॉस्पिटल पहुँचने के पहले वह कहाँ थीं।”

इस मामले में भाजपा की तत्कालीन विधायक एवं नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 लोगों को आरोपित बनाया गया था। सुनवाई के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई। वहीं, पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में अमित शाह साल 2017 में अदालत में पेश हुए थे।

माया कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगों के मामले में भी दोषी ठहराया गया था, जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी। बाद में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट की ओर से राहत मिल गई। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में माया कोडनानी को बरी कर दिया। वहीं, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी की उम्र कैद की सजा बरकरार रही।

बताते चलें कि गुजरात दंगों से जुड़े कुल 9 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 8 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है। जिन मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है उनमें गोधरा कांड, बेस्ट बेकरी, सरदारपुरा मामला, नरोदा पाटिया, गुलबर्ग सोसाइटी, ओडे विलेज, दीपडा दरवाजा और बिलकिस बानो केस शामिल हैं। 

इससे पहले गुजरात की एक अदालत ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कलोल में अलग-अलग घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के 12 से अधिक लोगों की हत्या और सामूहिक बलात्कार के सभी 26 आरोपितों को बरी कर दिया था। इस मामले के कुल 39 अभियुक्तों में से 13 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। बाकी 13 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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