झारखण्ड के घाटशिला से एक मामला आया है। यहाँ नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर नामक स्कूल में छात्रों को भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क दिया गया था।
स्कूल में एलकेजी और यूकेजी के छोटे-छोटे बच्चों को पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान पढ़ाने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। साथ ही बच्चों को उन मुल्कों के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में भी पढ़ाया जा रहा है। कई अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन से इस बात को लेकर आपत्ति जताई है।
‘दैनिक भास्कर’ में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, स्कूल प्रबंधन की ओर से एलकेजी और यूकेजी के बच्चों को तीन अलग-अलग समूहों में बाँट कर भारत के साथ ही पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के राष्ट्रगान को याद करने का टास्क दिया गया है। अभिभावकों का कहना है कि वो अपने बच्चों को पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान नहीं पढ़ने देंगे।
घाटशिला के नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर स्कूल में ये टास्क ऑनलाइन क्लास में दिया गया क्योंकि कोरोना के कारण सभी शैक्षिक संस्थान बंद हैं। दरअसल, स्कूल में बच्चों को 3 अलग-अलग समूहों में बाँटा गया। इनमें से अलग-अलग भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने का टास्क दिया गया।
व्हाट्सप्प ग्रुप में पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान पोस्ट भी किया गया। बच्चों को उन मुल्कों का राष्ट्रगान याद कराने के लिए यूट्यूब से वीडियो लेकर वहाँ डाला गया। कहा जा रहा है कि स्कूल के ही एक शिक्षिका ने ये टास्क दिया। स्कूल प्रबंधन ने मामला तूल पकड़ते देख टास्क वापस ले लिया है।
स्कूल में बच्चों की पढ़ाई फिलहाल ऑनलाइन ही चल रही है। अलग-अलग क्लास के बच्चों का अलग-अलग व्हाट्सप्प ग्रुप बना कर पढ़ाई कराई जा रही है। उक्त घटना 7-8 जुलाई, 2020 की है। जब शिक्षिका शैला परवीन ने बच्चों को पाकिस्तान व बांग्लादेश के राष्ट्रगान व प्रतीक चिह्नों के बारे में याद करने को कहा। शिक्षिका का कहना है कि उन्होंने स्कूल प्रबंधन के निर्देश पर बच्चों को ऐसा टास्क दिया है।
घाटशिला, झारखंड में स्कूल के बच्चों को होमवर्क में पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने को दिया जा रहा है।
— Prashant Patel Umrao (@ippatel) July 12, 2020
शिक्षिका का नाम शैली परवीन है जो अल्पसंख्यक मंत्रालय की योजनाओं से लाभान्वित हैं। वे अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं व पूर्णतयः फोकस्ड हैं। pic.twitter.com/wxYIzS6MVi
इधर प्रशासन ने बताया है कि इस मामले को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। पूर्वी सिंघभूम के जिला शिक्षा पदाधिकारी जीतेन्द्र कुमार ने कहा कि अगर कोई स्कूल ऐसा करने के लिए दबाव बना रहा है तो ये बिलकुल ग़लत है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि इन दोनों मुल्कों का राष्ट्रगान स्कूलों में नहीं पढ़ाया जा सकता और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं शिक्षिका इसके लिए प्रिंसिपल को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।
वहीं विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि अभिभावकों की आपत्ति के बाद इस टास्क को वापस ले लिया गया है। लोगों ने विद्यालय प्रबंधन को असंवेदनशील बताते हुए शिक्षिका पर कार्रवाई की माँग की है और साथ ही प्रशासन से विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई करने की भी माँग की है। जबकि प्रबंधन कह रहा है कि बच्चों का सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए ऐसा किया गया। उनका कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि ये बड़ा मुद्दा बन जाएगा।