पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सियासी हिंसा से जुड़े मामलों की छानबीन करने के लिए दो दिवसीय राज्य दौरा करने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के चेयरमैन विजय सांपला ने टीएमसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने शुक्रवार (14 मई 2021) को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, ”दो मई के बाद यहाँ जिस तरह की घटनाएँ हुई हैं, वह चिंताजनक है। 1947 के बाद पहली बार बलात्कार, हत्याएँ बिना किसी राज्य संरक्षण के हो रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित अनुसूचित जाति के लोग हुए हैं।”
सांपला ने आगे कहा कि बंगाल में दलितों के खिलाफ हिंसा के 1627 मामले सामने आए हैं। इनमें से करीब 10-12 मामले रेप से संबंधित हैं। इसके अलावा 15 से 20 लोगों की हत्या के मामले भी सामने आए हैं।
एनसीएससी के चेयरमैन ने कहा कि दलितों के खिलाफ हिंसा के बीते एक हफ्ते में ही 672 नए केस सामने आए हैं। मैंने ADGP को निर्देश दिए हैं कि इलाके के SHO के खिलाफ भी जाँच कराई जाए। हिंसा में जिन परिवारों को नुकसान पहुँचा है, उनकी मदद के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।
The way incidents have happened here after May 2 is worrisome. For the first time since1947, rapes, murders are happening with no state protection. The most affected have been people from Scheduled Caste: National Commission for Scheduled Castes chief on post-poll violence in WB pic.twitter.com/nMtiLYX6vi
— ANI (@ANI) May 14, 2021
विजय सांपला ने बताया कि जब मैं नाबाग्राम पहुँचा तो पुलिस ने मुझसे कहा कि हिंसा की घटनाएँ दलितों के ही दो गुटों के बीच हुई है। हालाँकि, छानबीन में खुलासा हुआ है कि हिंसा में कई जनरल कैटेगरी के लोग भी शामिल थे। एक दलित व्यक्ति जब पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने पहुँचा तो उस पर दिनदहाड़े हमला किया गया और जो (एससी से) पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गए थे, उन पर हमला किया गया, उनके घरों को लूट लिया गया।
मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में भाजपा ने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में उसकी पार्टी के नौ कार्यकर्ता मारे गए हैं। हालाँकि, तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) इन आरोपों का खंडन करती रही है। 7 मई को गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिनियुक्त चार सदस्यीय टीम ने जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर इलाके का दौरा किया था।
बंगाल में हुई हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने भी राष्ट्रपति को लिखा था पत्र
वहीं, हाल ही में बंगाल में हुई हिंसा को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई। उन्होंने पत्र में पश्चिम बंगाल में टीएमसी कार्यकर्ताओं और जिहादियों द्वारा चुनाव के बाद की गई हिंसा को तत्काल रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की माँग की थी।
विहिप नेता आलोक कुमार ने कहा था कि इस हिंसा का बड़ा निशाना अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग ही बन रहे हैं। कूचबिहार से सुंदरवन तक घर जलाए जा रहे हैं। दुकानें लूटी जा रही हैं और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार हो रहा है। भय के वातावरण में राज्य में हिंदू आबादी को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। खुलेआम विपक्ष के कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। इस हिंसा का एक सुनियोजित जिहादी पक्ष है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।
उन्होंने कहा था कि ममता के पिछले दो शासनकाल में भी वहाँ का हिंदू समाज त्रस्त रहा है, लेकिन इस बार शासन काल का प्रारंभ जिस ढंग से हुआ है उससे पूरा देश यह समझ रहा है कि अगर इसी समय बंगाल के प्रशासन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो हो सकता है कुछ स्थानों पर हिंदू समाज आत्मरक्षा के लिए स्वयं कुछ उपाय करने पर मजबूर हो जाए। दोनों ही स्थितियाँ पूरे देश के लिए चिंता का विषय हैं।