राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने अपनी रिपोर्ट में साफ़ कर दिया है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने न सिर्फ़ बिना अनुमति के विरोध-प्रदर्शन किया, बल्कि सार्वजनिक संपत्ति को भी जम कर नुकसान पहुँचाया। साथ ही आयोग ने दिल्ली पुलिस को एक स्पेशल जाँच टीम बना कर इस उपद्रव के पीछे काम कर रहे असली तत्वों की पहचान कर के उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के समक्ष दिल्ली पुलिस के खिलाफ कई शिकायतें और अर्जियाँ भेज कर कहा गया था कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन’ कर रहे छात्रों पर अत्याचार किया गया है। आयोग ने उनकी शिकायतों का निपटारा करते हुए उक्त आदेश जारी किया।
बता दें कि जामिया में सीएए विरोधी प्रदर्शन आगजनी और दंगों में बदल गया था और पुलिस पर पत्थरबाजी भी हुई थी।
NHRC ने जोर दिया कि इस विरोध-प्रदर्शन के बीच काम कर रहे असली गुनहगारों को पकड़ कर उनके इरादे पता करने की ज़रूरत है। आयोग का कहना है कि छात्रों के भेष में असली गुनहगारों ने संगठित तरीके से इस विरोध-प्रदर्शन को अंजाम दिया। भारत सरकार को कहा गया कि वो दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि एक SIT बना कर इसकी जाँच की जाए। साथ ही इसके लिए समय-सीमा तय करने को भी कहा गया।
साथ ही NHRC ने ये भी कहा कि दोषियों के ख़िलाफ़ संस्थाएँ अपने नियम-क़ानून के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई करे। साथ ही घायल छात्रों को मानवीय आधार पर उचित मुआवजा देने को भी निर्देशित किया गया है। आयोग ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज को नुकसान पहुँचाने वाले उन लोगों की पहचान करने को भी कहा है, जो लाइब्रेरी के अंदर घुस गए और सीसीटीवी कैमरे तोड़े। साथ ही उन्हें भी चिह्नित करने को कहा गया है, जिन्होंने आँसू गैस के गोले का प्रयोग किया।
NHRC से कथित पुलिस की क्रूरता की शिकायत करने वाले तत्वों ने एक रिटायर्ड न्यायाधीशों की निगरानी में एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कथित पुलिस ज्यादतियों की जाँच कराने की माँग की थी। आयोग ने इस पर कहा है कि सरकार द्वारा पुलिस बल को संवेदनशील बनाने के लिए प्रयास किए जाएँ और इस तरह के कानून-व्यवस्था की समस्याओं से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल अपनाए जाने की ज़रूरत पर बल दिया जाए।
एनएचआरसी ने कहा कि जो दावा किया गया है उसके मुताबिक, छात्रों का 15 दिसंबर का विरोध शांतिपूर्ण नहीं था#JamiaViolence @tamseemhaiderhttps://t.co/67EGI2MnvF
— AajTak (@aajtak) June 27, 2020
NHRC ने ये साफ़ कर दिया है कि जामिया के छात्रों का विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण तो नहीं ही था। ये मामला 15 दिसंबर 2019 और उसके बाद हुए विरोध-प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ है। साथ ही आयोग द्वारा कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के अंदर पुलिस की कथित कार्रवाई की प्रशासनिक जाँच तेज़ी से करने को कहा गया है।
बता दें कि 15 की ही रात पुलिस असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए जामिया कैम्पस में घुसी थी। इस मामले में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने भी 16 दिसंबर 2019 को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन, हिंसा के माहौल में कोई बात नहीं सुनी जा सकती।
वकील इंदिरा जयसिंह ने मानवाधिकारों के हनन का रोना रोते हुए अदालत से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की अपील की थी। जामिया में प्रदर्शनों के दौरान एबीवीपी छात्रा और महिला मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी भी की गई थी।