केंद्र सरकार ने बेंगलुरु में हुए हिंसक दंगों से जुड़े आपराधिक मामलों की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को ट्रांसफर करने का फैसला किया है। पुलिस ने दंगों में शामिल लगभग 280 लोगों पर यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया था। केंद्रीय एजेंसी इस मामले में यह जाँच करेगी कि गिरफ्तार आरोपितों के कनेक्शन किसी आतंकी संगठन से है या नहीं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ, जिसके मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका (Abhay Shreeniwas Oka) और न्यायमूर्ति अशोक एस. किनगी (Ashok S. Kinagi) के समक्ष एनआईए का प्रतिनिधित्व करते हुए, वकील पी. प्रसन्ना कुमार ने बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में हिंसा की घटनाओं से जुड़े मामलों को स्थानांतरित करने की अपील की।
इस संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा जल्द ही आदेश जारी किए जाने की उम्मीद है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान एनआईए को जाँच स्थानांतरित करने, हिंसा के दौरान संपत्तियों को हुए नुकसान के मुआवजे का भुगतान, आदि मामलों को भी प्रस्तुत किया गया था।
गौरतलब है सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने दंगे शामिल समीउद्दीन नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया था। दावा किया जा रहा है कि उसका संबंध अल-हिंद संगठन से है।
पिछले महीने बेंगलुरु के डीजे हल्ली इलाके में उपद्रवियों ने कॉन्ग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर को निशाना बनाते हुए विधायक के घर का एक हिस्सा आग के हवाले कर दिया गया था। दरअसल, विधायक श्रीनिवास के भतीजे ने सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट किया था, जिसके बाद संप्रदाय विशेष के लोगों ने जमकर बवाल मचाया था। करीब 250 गाड़ियाँ फूँक दी गई थी। वहीं हिंसा के दौरान हमले में एडिशनल पुलिस कमिश्नर समेत 60 पुलिसकर्मियों को चोटें आईं थीं।
दंगाइयों ने पुलिस स्टेशन के बाहर मजहबी नारेबाजी की, पत्थरबाजी की और गाड़ियों को फूँक दिया। कट्टरपंथियों ने डीजे हल्ली में पुलिस की एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की। यहाँ तक कि पुलिस को थाने के भीतर घुसने के लिए भी संप्रदाय विशेष की भीड़ ने जगह नहीं दी थी।
कॉन्ग्रेस के पूर्व शहर महापौर अरुण प्रताप और स्थानीय नागरिक वार्ड पार्षद संपत राज के निजी सहायक सहित 300 से अधिक लोगों पर दंगे भड़काने और बर्बरता करने का आरोप लगाया गया था।