बेंगलुरु हिंसा मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने दंगे के मुख्य साजिशकर्ता सयैद सादिक़ अली को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें पिछले महीने डीजे हल्ली और केजी हल्ली क्षेत्रों में हुई हिंसा के संबंध में NIA ने बेंगलुरु के 30 स्थानों पर छापेमारी की थी।
National Investigation Agency (NIA) conducts searches at 30 locations in Bengaluru in connection with violence in DJ Halli and KG Halli areas last month; arrests key conspirator Sayed Saddiq Ali. pic.twitter.com/ecgtiieXYR
— ANI (@ANI) September 24, 2020
NIA ने 44 वर्षीय सादिक अली के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, जानलेवा दंगा भड़काने के बाद सब ही सादिक पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। लगातार एजेंसी और स्थानीय पुलिस द्वारा उसकी खोजबीन जारी थी। 30 जगहों पर मारी गई छापेमारी को लेकर एनआईए ने बताया, तलाशी के दौरान एयरगन, छर्रों, तेज हथियार और लोहे की छड़ों को बरामद किया गया है। यह भी कहा कि छापों में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े कुछ डिजिटल डिवाइस और कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए।
गौरतलब है कि इससे पहले NIA ने अपने बयान में कहा था, “SDPI के राज्य सचिव मुजम्मिल पाशा ने पहले एक मीटिंग बुलाई थी और इसमें उसने PFI/SDPI के सदस्यों को भीड़ को भड़काने और हिंसा के लिए उकसाने का निर्देश दिया था। इसके बाद उग्र भीड़ ने बेंगलुरु शहर के अंतर्गत आने वाले डीजे हल्ली, केजी हल्ली और पुलकेशी नगर इलाकों में दंगा भड़काया।”
NIA ने आगे मामले में यह भी कहा, कॉन्ग्रेस विधायक अखण्ड श्रीनिवास मूर्ति के कावेल बारासंडा में 11 अगस्त को उनके भतीजे नवीन द्वारा फेसबुक पर अपलोड किए गए कथित अपमानजनक पोस्ट के बाद 1000 से अधिक लोग वहाँ पर हो गए थे। नवीन के फेसबुक पोस्ट ने कथित तौर पर ‘मजहब विशेष की धार्मिक भावनाओं का अपमान’ किया था।
वहीं पिछले दिनों यह रिपोर्ट भी सामने आई थी कि बेंगलुरु में हुए दंगे पूर्व नियोजित थे, जिसमें जानबूझकर कर हिंदुओं और उनके घरों और वाहनों को निशाना बनाया गया था। दंगों में सुरक्षित बचे लोगों में से एक का दावा था कि उन्हें उर्दू में चेतावनी देते हुए कहा गया था कि वे अपने घरों के अंदर चले जाएँ वरना वे मारे जाएँगे। दंगों के दौरान, खास मजहब की किसी भी कार जिसमें चाँद या HKGN (हज़रत ख्वाजा ग़रीब नवाज़) का प्रतीक लगा था, उसपर हमला नहीं किया गया। हमला करने से पहले दंगाइयों ने सड़क पर खड़ी कारों के कवर तक को उठाकर यह पता लगाने की कोशिश की थी कि कार किसकी थी।
उन्होंने कहा, “दंगाइयों ने खासकर उस जगह हमला किया था जहाँ सीसीटीवी नहीं लगे थे। इसका साफतौर यह मतलब हुआ कि दंगों में स्थानीय लोग शामिल थे, जिन्हें पहले से पता था कि सीसीटीवी कहाँ-कहाँ लगे है। दंगाइयों ने पहले से यह सुनिश्चित किया था कि केवल दूसरे धर्म वालों को ही निशाना बनाना है। मजहब विशेष की गाड़ियों को छोड़कर,दूसरे धर्म से संबंधित सभी वाहनों पर हमला किया गया और क्षतिग्रस्त किया गया था।”