निर्भया मामले के दोषियों को जल्द से जल्द फाँसी दिए जाने के कयास लग रहे हैं। इसी बीच चारों दोषियों में से एक अक्षय सिंह ने फाँसी की सजा पर दोबारा विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है।
निर्भया केस के दोषी अक्षय कुमार सिंह ने फांसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर किया रिव्यू पिटिशन https://t.co/kqkjkGPFi9 via @NavbharatTimes
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) December 10, 2019
अपनी याचिका में अक्षय सिंह द्वारा अन्य क़ानूनी दावे, जैसे खुद को दोषी साबित किए जाने की न्यायिक प्रक्रिया में खामी, दुनिया भर में मृत्युदंड के खिलाफ बन रहे माहौल आदि के अलावा एक बहुत ही ‘अजीब’ तर्क भी दिया गया है। याचिका के मुताबिक चूँकि दिल्ली के वायु और जल प्रदूषण से वैसे भी लोगों के जीवन की अवधि कम हो रही है, अतः अक्षय को मृत्युदण्ड दिया जाना निरर्थक है।
याचिका में कहा है, “जब हम आसपास देखते हैं तो पता चलता है कि इंसान जिंदगी में विपरीत स्थितियों का सामना कर शव जैसा ही हो जाता है। यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि दिल्ली एक गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है। हर कोई जानता है कि दिल्ली की हवा और पानी कितना खराब हो चुके हैं। हवा और पानी खराब होने के चलते जिंदगी लगातार कम हो रही है। ऐसे में मौत की सजा की क्या जरूरत है।”
याचिका में महात्मा गॉंधी का भी हवाला दिया गया है। कहा गया है, “गॉंधी जी कहते थे कि कोई भी फैसला लेने से पहले गरीब के बारे में सोंचे। सोंचे कि आपका फैसला कैसे उस व्यक्ति की मदद करेगा। आप ऐसा करेंगे तो आपके भ्रम दूर हो जाएँगे।”
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर दिया था। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपितों मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को सजा सुनाई थी। एक आरोपित राम सिंह ने जेल में फाँसी लगा ली थी और एक अन्य को नाबालिग होने का फायदा मिला था। बाद में हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी इन चारों दोषियों की फाँसी की सजा बरकरार रखी थी।
इस रिव्यू पिटिशन से पहले 29 अक्टूबर 2019 को जेल प्रशासन ने सभी कानूनी रास्ते बंद हो जाने पर दोषियों को राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने के लिए सात दिन का वक़्त दिया था। इनमें से केवल विनय शर्मा ने ही इसके लिए अर्जी दाखिल की थी। इसे दिल्ली सरकार ने अस्वीकार कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपनी अस्वीकार्यता के साथ ही दिल्ली सरकार ने इस सम्बन्ध में कड़ी टिप्पणी भी दर्ज की थी।
दिल्ली सरकार के गृहमंत्री सतेन्द्र जैन ने लिखा था, “प्रार्थी ने जघन्य अपराध को अंजाम दिया है। यह एक ऐसा केस है जिसमें दी जाने वाली सजा को नजीर के तौर पर देखा जाएगा ताकि आने वाले समय में कोई भी इस अपराध को अंजाम न दे। दया याचिका में कोई योग्यता नहीं है, हम इसे अस्वीकार करने की सिफारिश करते हैं।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चारों दोषियों को फाँसी पर लटकाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 16 दिसंबर को फाँसी दी जा सकती है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने तख्त तैयार करके एक डमी का ट्रायल किया है। हालाँकि अभी तक फाँसी देने को लेकर जेल प्रशासन के पास कोई लेटर नहीं आया है।
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