इलाहबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर, 2023) को बहुचर्चित निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया है। इन सभी 1 दर्जन मामलों में कोली को निचली अदालत से मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं इसी कांड के एक अन्य आरोपित मोनिंदर सिंह पंढेर को 2 केसों में बरी किया गया है। पंढेर को भी इन दोनों केसों में मृत्युदंड मिला था।
यह फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस सैयद आफ़ताब हुसैन रिज़वी की बेंच ने सुनाया। सितंबर 2023 माह में इस केस की सुनवाई के बाद बेंच ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।
बचाव पक्ष की वकील मनीषा भंडारी ने तर्क किया कि आरोपितों के खिलाफ कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और दोनों को परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर सजा सुनाई गई है। मनीषा भंडारी के अनुसार मोनिंदर पंढेर अगले 24 घंटों में जेल से बाहर आ सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक निठारी कांड में CBI की तरफ से सुरेंद्र कोली पर कुल 16 और मोनिंदर सिंह पंढेर पर कुल 6 केस दर्ज किए गए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 13 केसों में गाजियाबाद जिले की सीबीआई कोर्ट ने मई 2022 में मृत्युदंड की सजा दी थी। 3 केसों में उसे सबूतों के आभाव में बरी कर दिया गया था।
#WATCH | Manisha Bhandari, lawyer of Nithari case convict Moninder Singh Pandher, in Prayagraj, Uttar Pradesh
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 16, 2023
"Allahabad High Court has acquitted Moninder Singh Pandher in the two appeals against him. There were a total of 6 cases against him. Koli has been acquitted in all… pic.twitter.com/BYQHeu3xvz
सुरेंद्र कोली को अलग-अलग मामलों में 13 फरवरी 2009, 12 मई 2010, 28 अक्टूबर 2010, 22 दिसंबर 2010, 24 दिसंबर 2012, 7 अक्टूबर 2016, 16 दिसंबर 2016, 24 जुलाई 2017, 8 दिसंबर 2017, 2 मार्च 2019, 6 अप्रैल 2019, 16 जनवरी 2021 और 19 मई 2022 को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट द्वारा फाँसी की सजा सुनाई गई थी। जबकि मोनिंदर पंढेर को इसी अदालत द्वारा 13 फरवरी 2009 और 8 दिसंबर 2017 को मृत्युदंड मिला था।
एक मामले में 9 सितंबर 2014 में उसे मेरठ जेल में फाँसी भी दी जाने वाली थी। हालाँकि, सुबह 4 बजे जेल प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिला और कोली की फाँसी टल गई। बाद में इस सजा को देरी की वजह से उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था।
वहीं अपने खिलाफ दर्ज कुल 6 मामलों में से 4 में मोनिंदर पंढेर गाजियाबाद ट्रायल कोर्ट से पहले ही बरी हो चुका था। 2 केसों में उसे फाँसी की सजा दी गई थी। अब हाईकोर्ट ने उन दोनों केसों में भी पंढेर को बरी कर दिया है। पंढेर और सुरेंद्र कोली ने खुद को मिली सजा के खिलाफ इलाहबाद हाईकोर्ट में 2 अलग-अलग अपीलें दाखिल की थीं।
क्या था निठारी कांड?
दरअसल, पेशे से उद्योगपति और नोएडा सेक्टर 31 निठारी कोठी नंबर डी-5 निवासी मोनिंदर सिंह पंढेर का परिवार पंजाब में रह रहा था। बताया जा रहा है कि पंढेर अपने घर पर कॉलगर्ल बुलाया करते थे। इस दौरान अल्मोड़ा उत्तराखंड का मूल निवासी सुरेंद्र कोली साल 2003 से उनके घर में खाना बनाने का काम करने लगा। 7 मई 2006 को मोनिंदर पंढेर ने एक लड़की को नौकरी दिलाने के नाम पर कोठी पर बुलवाया। वह घर नहीं लौटी को उसके परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज क्वाई।
पुलिस ने मोनिंदर पंढेर के घर के आसपास तलाशी की तो पास के नाले में 19 कंकाल मिले। ये कंकाल महिलाओं और बच्चों के बताए गए। पुलिस ने मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार करके पूछताछ की तो दोनों ने कई बच्चियों और महिलाओं का बलात्कार करने का खुलासा किया।
सुरेंद्र कोली द्वारा बच्चों के मांस खाने की भी जानकारी दी गई। पीड़ित परिवारों ने मोनिंदर और पंढेर पर मानव अंगों की तस्करी का भी आरोप लगाया था। थोड़े समय बाद यह मामला नोएडा पुलिस से CBI को ट्रांसफर हो गया था। कोर्ट में CBI ने पंढेर और सुरेंद्र कोहली के खिलाफ अलग-अलग केसों में चार्जशीट दाखिल की थी।