तेलंगाना के संगारेड्डी में इंजीनियरिंग के छात्र ने पंखे से लटककर जान दे दी। इसमें पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। आईआईटी हैदराबाद में फाइनल इयर के एक स्टूडेंट ने मंगलवार (जुलाई 02, 2019) को अपने हॉस्टल के कमरे में फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मार्क एंड्रयू चार्ल्स नाम का यह छात्र उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला था। आत्महत्या से पहले मार्क 8 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ गए हैं, जिसे पढ़कर लगता है कि शायद खराब नंबरों और अच्छी नौकरी न मिल पाने की आशंका की वजह से मार्क ने यह कदम उठाया है।
आत्महत्या से पहले मार्क ने जो ‘सुसाइड नोट‘ छोड़ा है, उसमें लिखा है, “मेरे पास नौकरी नहीं है, शायद मिलेगी भी नहीं। कोई भी किसी लूजर को नौकरी नहीं देता। अपनी ग्रेड शीट देखकर हैरान हूँ। हर किसी की तरह मेरे भी सपने थे। लेकिन अब सब खत्म है। ये सारी पॉजिटिव बातें, हमेशा मुस्कुराना, लोगों से कहना कि मैं ठीक हूँ, जबकि मैं ठीक नहीं हूँ।”
संगारेड्डी के पुलिस उपाधीक्षक पी श्रीधर रेड्डी ने बताया कि छात्र मार्क एंड्रयू चार्ल्स (20 साल) सोमवार रात करीब 11 बजे हॉस्टल के अपने कमरे में गए। उन्होंने बताया कि मार्क के नहीं दिखने पर मंगलवार दोपहर उनके मित्रों ने जब उनके कमरे का दरवाजा तोड़ा तो वह पँखे से लटके मिले। डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे मार्क ने कुछ दिन पहले ही अंतिम वर्ष की परीक्षा दी थी और अंतिम प्रजेन्टेशन की तैयारी कर रहे थे, जो 5 जुलाई को होने वाली थी।
संगारेड्डी के डीएसपी श्रीधर रेड्डी के मुताबिक, “आमतौर पर दोपहर 12 बजे तक सभी स्टूडेंट अपने कमरों से निकल आते हैं। लेकिन जब मार्क मंगलवार 2 बजे तक नहीं निकले, तो उनके दोस्तों को शक हुआ और वे उन्हें आवाज लगाने लगे। जब कोई जवाब नहीं मिला तो दरवाजा तोड़ दिया गया, अंदर उन्हें छत से लटके हुए मार्क दिखाई दिए।”
पुलिस को मार्क एंड्रयू चार्ल्स की डायरी में एक सुसाइड नोट लिखा मिला है, जिसमें छात्र ने लिखा है कि शायद उसे अच्छे अंक न मिलें और दुनिया में असफलता का कोई भविष्य नहीं है। पुलिस का कहना है कि संभवत: अवसाद के कारण उन्होंने यह कदम उठाया हो। इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया है।
गौरतलब है कि इसी साल 31 जनवरी को मकैनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के छात्र एम अनिरुद्ध ने भी छात्रावास भवन से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इस प्रकार यह इस संस्थान में इस साल की दूसरी ऐसी घटना है।
‘सोचा नहीं था कि ऐसे निराश करूँगा’
अपने सुसाइड नोट में मार्क ने अपने परिवार और दोस्तों से माफी माँगते हुए लिखा है, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस तरह आपको निराश करूँगा। मैं इस काबिल नहीं हूँ कि आप लोग मुझे याद करें।”
मेडिकल कॉलेज को दान किया शरीर
मार्क ने इस नोट में आगे लिखा है, “घर से दूर दो साल, सबसे अच्छे इंस्टिट्यूट में, मेरे चारों तरफ बेहतरीन लोग थे, लेकिन मैंने सब बर्बाद कर दिया।” मार्क ने अपने परिवार से अनुरोध किया है कि उनके शरीर को दफनाने की जगह किसी मेडिकल कॉलेज को दान कर दें। साथ ही यह भी लिखा है कि उनकी लाश देश के भावी डॉक्टरों के किसी काम तो आएगी।
‘हर एक पल को जीना, एक ही जिंदगी मिली है’
अपने जीवन के आखिरी दो महीनों को जीवन का सबसे अच्छा समय बताते हुए मार्क ने दोस्तों से माफी माँगी है। वहीं, दोस्तों से अपील की है, ‘आईटी इंडस्ट्री में जिंदगी बर्बाद न करें‘, “अंकित, रज्जो, आईटी में काम करते-करते अपनी लाइफ मत भूल जाना। हर एक पल को जीना। एक ही जिंदगी मिली है।”