दिल्ली हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों का पालन न करने को लेकर एक बार फिर से माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Twitter को फटकार लगाई है। ट्विटर द्वारा पेश किए गए एक एफिडेविट को लेकर उसे फटकारा गया। इसमें उसने नए चीफ कंप्लायंस ऑफिसर और ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति ‘अस्थायी कर्मचारी’ के रूप में करने की बात बताई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (28 जुलाई, 2021) को Twitter को ‘अंतिम मौका’ दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वो एक सप्ताह के भीतर एक बेहतर एफिडेविट लेकर अदालत के समक्ष पेश हो, जिसमें नए आईटी नियमों के मुताबिक अधिकारियों की नियुक्ति के पूरे विवरण हों। इसके लिए उसे एक सप्ताह का समय दिया गया है। साथ ही दिल्ली उच्च-न्यायालय ने ये प्रश्न भी पूछा कि Twitter ने अब तक नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन के रूप में किसी अधिकारी की नियुक्ति क्यों नहीं की है?
जस्टिस रेखा पल्ली की एकल पीठ ने ट्विटर के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कंपनी पर नए आईटी नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया गया था। हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्विटर की एफिडेविट से पता चलता है कि उसने पूरी तरह से नए आईटी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई हैं। कोर्ट ने कहा, “हमें समझ नहीं आ रहा कि आपकी कंपनी क्या करना चाह रही है? जो भी करना है, जी जान से करिए।”
ट्विटर के खिलाफ दलील पेश की गई थी कि उसने नए आईटी नियमों के मुताबिक अधिकारियों की सिर्फ ‘अंतरिम नियुक्ति’ की है। नोडल ऑफिसर की नियुक्ति भी ज़रूरी है, क्योंकि वही जाँच एजेंसियों और कंपनी के बीच एक पुल का काम करेगा। ट्विटर ने इसे लेकर अब तक सिर्फ मौखिक आश्वासन ही दिया है, जिसे अब उससे लिखित में लिया जाएगा। कोर्ट ने कर्मचारियों की ‘अस्थायी’ नियुक्ति पर आपत्ति जताई।
…..HC also questions Twitter on why it made the appointment via a third party contractor whose name also hasn't been revealed. Affidavit shows total non compliance, you do business here, earn so much revenue but don't comply with rules, court has given you a long rope – HC
— Abhinav Garg (@abhinavgargTOI) July 28, 2021
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा, ” ये ‘Contingent Worker‘ क्या होता है? इसके क्या अर्थ हुआ? इससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन अधिकारियों की ड्यूटी किसी आकस्मिक खर्च पर आधारित हो। हमें पता ही नहीं कि इसमें थर्ड पार्टी कांट्रेक्टर कौन है। हम नहीं समझे, आप इन शब्दों का मतलब समझाइए। ये कानून का पूर्णरूपेण उल्लंघन है। ऐसा नहीं चलेगा।” ट्विटर ने अब पारदर्शी और स्पष्ट एफिडेविट पेश करने की बात कही है।
कोर्ट ने कहा कि एक 31 वर्ष के व्यक्ति को ये पद दिया गया है और वो अधिकारी ही कह रहा है कि वो ट्विटर का कर्मचारी नहीं है। कोर्ट ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि इस पद को लेकर कंपनी गंभीरता दिखाए। अगले एफिडेविट में इसकी डिटेल्स माँगी गई है। ट्विटर ने कहा कि वो नए नियमों का पालन करने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। अमित आचार्य नाम के अधिवक्ता ने ट्विटर के खिलाफ याचिका दायर की थी।