ओडिशा के झारसुगुडा ज़िले में इंग्लैंड का 68 वर्षीय मिशनरी शेल्टर होम और आवासीय विद्यालय चलाता है। उस व्यक्ति पर एक बच्चे के यौन शोषण का आरोप लगा था। जिसके संबंध में पुलिस ने बुधवार (19 अगस्त 2020) को उसे गिरफ्तार कर लिया। जिस बच्चे के साथ यह घटना हुई है वह शेल्टर होम का ही रहने वाला है।
फेथ आउटरीच ओडिशा संस्थापक जॉन पैट्रिक ब्रिज ने जमानत के लिए अदालत में याचिका दायर की थी। जिसे अदालत ने बुधवार को ठुकरा दिया और आरोपित जॉन पैट्रिक को जेल भेज दिया गया है। उस पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी अधिनियम (POSCO Act) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
स्थानीय समाचार समूहों संवाद और प्रगतिवादी ने इस मुद्दे पर विस्तार से ख़बर प्रकाशित की है। इस घटना की शिकायत एक ऐसे युवक ने की थी जो फेथ आउटरीच संस्था संचालित एक शेल्टर होम में रहता था। वह साल 2015 तक इस शेल्टर होम में रहता था और तब वह नाबालिक था। जॉन पैट्रिक ने इस संस्था का गठन लगभग 25 साल पहले किया था। प्रगतिवादी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ जॉन पर पहले भी इस तरह के गंभीर आरोप लग चुके हैं।
इसके पहले उस पर एक न्यूज़ीलैंड के नागरिक ने इस तरह के ही आरोप लगाए थे। और तो और यह आरोप न्यूज़ीलैंड दूतावास से लगाए गए थे। जॉन इंग्लैंड में पैदा हुआ था और साल 1977 में भारत आया। इस दौरान उसने अपनी तमिल पत्नी के साथ मिल कर सामाजिक समूह फेथ आउटरीच, उड़ीसा शुरू किया। शुरुआत में केवल 4 बच्चे ही इस अनाथालय में रहते थे लेकिन अब यह एक बड़ा संगठन बन चुका है। फिलहाल इसमें लगभग 800 से ज़्यादा बच्चे रहते हैं। इसके अलावा कुल 4 डे केयर सेंटर भी चलते हैं जिसमें लगभग 250 बच्चे रहते हैं। इसमें से अधिकांश बच्चे गरीब और वंचित घर परिवारों से आते हैं।
जॉन के शेल्टर होम में हर उम्र के बच्चे रहते हैं और अलग-अलग क्षेत्रों के बच्चे भी मौजूद हैं। उसने अपनी पत्नी के साथ मिल कर काफी संख्या में बच्चों को ईसाई धर्म कबूल कराया है। उसके शेल्टर होम और डे केयर सेंटर में रहने वाले ज़्यादातर बच्चे गरीब अनुसूचित जाति और जनजाति परिवारों से आते हैं। उसे साल 1992 में भारत की नागरिकता मिली थी। फ़िलहाल पुलिस ने इस मामले में जाँच शुरू कर दी है। पुलिस जाँच के दौरान सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी।