केरल के एक चर्च पर नियंत्रण को लेकर ईसाई समुदायों की लड़ाई खत्म होती नहीं दिख रही। एर्नाकुलम ज़िले के पिरवोम स्थित सेंट मेरी चर्च का संचालन हाथ में लेने के लिए जैकोबाइट ईसाई और ऑर्थोडॉक्स ईसाई एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।
चर्च फिलहाल जैकोबाइट ईसाइयों के नियंत्रण में है। 3 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने चर्च का प्रशासन ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों को देने का निर्देश दिया था। इस आदेश के कारण 1,100 चर्च का नियंत्रण ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों के पास चला गया था।
बुधवार (सितम्बर 25, 2019) को जब ऑर्थोडॉक्स ईसाई चर्च में पहुँचे और उन्होंने प्रार्थना के बाद चर्च का नियंत्रण अपने हाथ में लिया तो जैकोबाइट ईसाई समूह के लोग वहाँ पर पहुँच गए। कुछ मेट्रोपोलिटन पादरी उनका नेतृत्व कर रहे थे। वे सभी नारे लगा रहे थे और प्रार्थनाएँ कर रहे । वे हंगामा करते हुए चर्च के अंदर दाखिल हुए और में गेट पर ताला जड़ दिया। उन्होंने चर्च का नियंत्रण ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों को देने से इनकार करते हुए कहा कि सुलह के लिए बातचीत होनी चाहिए।
तनाव को देखते हुए चर्च के सामने भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। फायर ब्रिगेड को भी मुस्तैद रखा गया है। चर्च कंपाउंड के गेट के सामने ऑर्थोडॉक्स गुट के लोग टेंट लगा कर डट गए और कहा कि अगर उन्हें आधिकारिक रूप से चर्च का नियंत्रण हस्तांतरित नहीं किया गया तो वे प्रदर्शन करेंगे। जैकोबाइट ईसाईयों ने कहा कि चर्च के 2500 श्रद्धालु हैं, उन सभी का आधिकारिक कब्रगाह भी यही पर स्थित है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना स्थानीय लोगों से बातचीत किए ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों द्वारा बाहर से अपने लोग बुला कर जबरन चर्च पर कब्ज़ा करने की कोशिश की जा रही है।
Huge police force deployed at Piravom #Kerala where Jacobite and #Orthodox #Christians fight over a Church https://t.co/nZUCpLOD80 Similar situation in other places too. Christian #missionaries who mock Hindus for caste difference should first teach Christians to love each other
— A. Harikumar (@journalistHari) September 25, 2019
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों के 4 पादरी ही यहाँ आकर प्रार्थना कर सकते हैं, लेकिन वो यहाँ मेट्रोपोलिटन पादरियों के साथ बाहर के लोग लेकर आ धमके हैं। जैकोबाइट समुदाय के मीडिया इंचार्ज डॉक्टर कुरियाशोके ने कहा कि चर्च के हज़ारों श्रद्धालुओं को अपना घर छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है। वहीं ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1934 में बने चर्च के संविधान के अनुसार फ़ैसला लिया है।
केरल में इस तनाव को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। राज्य में उपचुनाव होने हैं और नेतागण दोनों ही समुदायों की जनसंख्या को देखते हुए उन्हें अपनी तरह लुभाने में लगे हैं। जैकोबाइट पादरियों ने आरोप लगाया है कि ऑर्थोडॉक्स ईसाई मानवाधिकार उल्लंघन कर रहे हैं। जैकोबाइट ईसाई ने विरोध में धरना दिया, जिसमें केरल सरकार और विपक्ष के कई नेता शामिल हुए। जैकोबाइट धड़े ने आरोप लगाया कि ऑर्थोडॉक्स उनके मृत रिश्तेदारों की अंतिम क्रिया में भी बाधा पहुँचा रहे हैं और यहाँ तक कि मरे हुए लोगों को भी शांति से नहीं रहने दे रहे।
Jacobite faction stages hunger strike https://t.co/nMC3GS33p8
— TOI Kochi (@TOIKochiNews) September 25, 2019
इसी मामले में केरल हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ जाते हुए यथास्थिति बहाल रखने का निर्णय दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उच्च न्यायालय को उच्चतम न्यायालय के आदेश के साथ छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने जोड़ा था कि केरल के जजों को यह बताया जाना चाहिए कि वे भी भारत के ही अंग हैं। एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु के बाद चर्च के ऑर्थोडॉक्स गुट ने परिवार की बात न मानते हुए जैकोबाइट पादरी से अंतिम क्रिया-कर्म की प्रक्रिया संपन्न कराने से मना कर दिया था, जिसके बाद दोनों गुट भिड़ गए थे।