राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक और संस्कार भारती (Sanskar Bharti) के संरक्षक पद्मश्री से सम्मानित बाबा योगेंद्र का शुक्रवार (10 जून 2022) को लगभग 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सहित भाजपा (BJP) और संघ ने नेताओं ने गहरा दुख व्यक्ति किया है।
पीएम मोदी ने कहा, “देश सेवा में समर्पित पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ओम शांति!”
देश सेवा में समर्पित पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। ओम शांति!
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2022
संघ की ओर से सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, “संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेंद्र जी एक तपस्वी थे। उनके निधन से एक ज्येष्ठ प्रचारक के साधक जीवन का अंत हुआ। संगीत और कला क्षेत्र के राष्ट्रनिष्ठ साधकों को एक मंच पर लाना उनके जीवन की साधना थी। उनका जीवन सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।”
संघ के वरिष्ठ प्रचारक व संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेन्द्र जी के निधन पर पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत और मा. सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी की विनम्र श्रद्धांजलि : pic.twitter.com/ygc4NN2vE3
— RSS (@RSSorg) June 10, 2022
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने ट्वीट कर कहा, “बाबा योगेंद्र भारतीय संस्कृति की विरासत को सहेजने के जीवंत प्रतीक थे। वे ऐसे प्रवासी थे, जिनका हर पग देश की सांस्कृतिक चेतना को नया जीवन प्रदान करता था। वे कहते थे कि ‘कला मिट्टी में प्राण फूँकती है, कला से संस्कारों का सृजन होता है व कला ही समाज को प्रेरित करने का कार्य करती है’।”
#बाबायोगेन्द्र भारतीय संस्कृति की विरासत को सहेजने के जीवंत प्रतीक थे। वे ऐसे प्रवासी थे जिनका हर पग देश की #सांस्कृतिकचेतना को नया जीवन प्रदान करता था। वे कहते थे कि "कला मिट्टी में प्राण फूंकती है, कला से संस्कारों का सृजन होता है व कला ही समाज को प्रेरित करने का कार्य करती है pic.twitter.com/J1dzuTk6ee
— Indira Gandhi National Centre for the Arts (@ignca_delhi) June 10, 2022
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) ने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं संस्कार भारती के संस्थापक ‘पद्मश्री’ बाबा योगेन्द्र जी को भावभीनी श्रद्धांजलि। भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में उनके अद्वितीय योगदान को सदैव याद किया जाएगा। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं संस्कार भारती के संस्थापक ‘पद्मश्री’ बाबा योगेन्द्र जी को भावभीनी श्रद्धांजलि। भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में उनके अद्वितीय योगदान को सदैव याद किया जाएगा।
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 10, 2022
ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “संस्कार भारती के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, ‘पद्मश्री’ बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति!”
'संस्कार भारती' के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, 'पद्म श्री' बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 10, 2022
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
ॐ शांति!
बाबा योगेंद्र और उनका जीवन
बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी 1924 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में वकील विजय बहादुर श्रीवास्तव के घर हुआ था। जानकारों के अनुसार, बाबा योगेंद्र घर छह बहनों के इकलौते भाई थे। इससे पहले उनके जितने भाई पैदा हुए, सभी चल बसे। इसलिए उनके पिता ने इनके जीवन को बचाने के लिए रीति निभाते हुए पड़ोसी को बेच दिया था। इसलिए वे अपने पड़ोसी के यहाँ शुरुआत के पाँच-छह साल तक रहे।
बाबा योगेंद्र बचपन से ही संघ की शाखाओं में जाते थे। पढ़ाई के लिए जब वह गोरखपुर आए तो उनका संपर्क संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। इसके बाद नानाजी देशमुख के आह्वान पर वह 1960 में संघ के प्रचारक बने। उनका जीवन बहुत ही साधारण और सरल था।
संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य संयोजक रहे राज बहादुर सिंह के अनुसार, एक बार बाबा योगेंद्र बीमार पड़े तो अस्पताल तक ले जाने के लिए साधन की कमी को देखते हुए नानाजी देशमुख उन्हें अपनी पीठ पर लादकर ले गए। नानाजी के इस निस्वार्थ भाव को देखकर वह प्रभावित हो गए प्रचारक बनने का निर्णय लिया।
प्रचारक के रूप में उनकी प्रतिभा को देखकर संघ ने 57 वर्षीय बाबा योगेंद्र को 1981 में ‘संस्कार भारती’ के निर्माण कार्य का कार्यभार सौंपा। उन्होंने अथक परिश्रम करते हुए 41 वर्षों में संस्कार भारती को कला क्षेत्र का अग्रणी संस्थान बना दिया। उनके इस कलाप्रेम को देखते हुए पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया था।
बाबा योगेंद्र ने कई कलाकारों, लोक कला के जानकारों को संस्कार भारती से जोड़ा। देश भर में कहीं की भी लोक कला हो, बाबा योगेंद्र ने उसको संस्कार भारती का हिस्सा बनाया। बड़े कलाकारों की जगह वे छोटे-छोटे कलाकारों को संगठन से जोड़ते थे। उन्होंने कला और संस्कृति से जुड़े सैकड़ों आयोजन किए। इस तरह संस्कार भारती के आजीवन संरक्षक रहते हुए उन्होंने इसे कला के क्षेत्र का उत्कृष्ठ संस्थान बना दिया।