हिन्दू धर्म आचार्य सभा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिख कर पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की निर्मम हत्या की निंदा की है। शुक्रवार (अप्रैल 24, 2020) को लिखे गए पत्र में राज्य सरकार पर इस हत्याकांड के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है।
साथ ही कहा है कि इस क्षेत्र का जिस तरह का इतिहास रहा है, उससे लगता है कि इसके पीछे बड़ी साज़िश है। सभा ने पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं, जिसने इस केस को ठीक से हैंडल नहीं किया और बार-बार बयान बदले।
पालघर हत्याकांड पर क्या कहा हिन्दू धर्म आचार्य सभा ने
सभा ने सवाल उठाया है कि जैसा इस क्षेत्र का इतिहास रहा है, यहाँ के लोगों में हिन्दुओं के प्रति दुर्भावना घर कर गई है। उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं के जरिए अपनी बात रखी:
- इस इलाक़े में रह रहे आदिवासियों ने सीएए का पुरजोर विरोध किया था।
- दिसंबर 2019 में 12 अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को यहाँ से गिरफ़्तार किया गया, जबकि इसी साल फ़रवरी में 23 अवैध बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार किए गए थे।
- यहाँ के अशिक्षित लोगों का ब्रेनवाश किया गया और हिन्दू धर्म के प्रति उनके मन में गलत-गलत बातें भर घृणा पैदा की गई। इनके दिमाग में सनातन-विरोधी बातें डाल दी गई हैं।
- पूरे धनुआ तालुका के आदिवासी साधु-संतों को ग़लत नज़र से देखते हैं। जबकि, साधु-संत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की राह पर चलते हैं, अर्थात ये पूरा विश्व एक ही परिवार है।
सभा ने कहा है कि इन सब बातों को देखते हुए लगता है कि साधुओं की मॉब लिंचिंग कोई साधारण घटना या अपराध नहीं था। इसके पीछे बहुत बड़ी साज़िश है। इस पत्र में महाराष्ट्र सरकार से भी जवाब माँगे गए हैं। कहा गया है कि केन्दीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद और वीडियो वायरल होने बाद जनाक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने कुछ गिरफ्तारियाँ तो की लेकिन असली गुनहगार अभी भी बचे हुए हैं।
पुलिस ने जो शिकायत दर्ज की है और वीडियो में जो दिख रहा है, इन दोनों में अंतर है। यह बताता है कि पुलिस इस मामले को ठीक से नहीं हैंडल कर रही है। हिन्दू धर्म आचार्य सभा ने पूछा है कि पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ अब तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? विश्व हिन्दू परिषद ने भी एक दिन पहले इस हत्याकांड को निर्मम बताते हुए कहा था कि इस क्षेत्र में वामपंथियों का इस तरह से हिंसा करने का इतिहास रहा है। वीएचपी ने पूछा था कि अगर किसी अल्पसंख्यक के साथ ऐसा होता तो क्या मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इसी तरह चुप रहते?
पालघर: मिशनरी, शारब माफिया और रावण एंगल
पालघर मॉब लिंचिंग को लेकर एक चौंकाने वाली बात ये पता चली है कि इस क्षेत्र में शराब माफियाओं का बोलबाला है। शराब का व्यापार धड़ल्ले से चलता है। सामाजिक सेवा में लगे लोग और साधु-संत इन चीजों का विरोध करते हैं। शराब माफिया ऐसे लोगों को दुश्मन समझते हैं।
पालघर में सक्रिय सामाजिक संस्थाओं ने बताया कि पिछले कई महीनों से ये क्षेत्र धर्मान्तरण और ईसाई मिशनरियों के दुष्प्रचार का गढ़ बन गया है। हिन्दू संगठन इसका विरोध करते हैं और इसलिए साधुओं से वे दुश्मनी पालते हैं। उग्र भीड़ के साथ एनसीपी नेता काशीनाथ चौधरी भी खड़ा था। कहा जा रहा है कि यहाँ के ईसाई मिशनरियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और एनसीपी नेता का वहाँ होना इस बात की पुष्टि करता है। सीपीएम के नेता भी उस भीड़ में शामिल थे।