मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने अब महाराष्ट्र के गृह मंत्री व NCP नेता अनिल देशमुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने ‘बना किसी पूर्वाग्रह, निष्पक्ष और बिना किसी बाहरी दखल वाले’ जाँच की माँग की है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस मामले में सबूत मिटाए जा सकते हैं, इसीलिए उससे पहले जाँच कराई जाए। उन्होंने खुद को ट्रांसफर के बाद DG (होमगार्ड) बनाए जाने के फैसले को भी चुनौती दी है।
परमबीर सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि फरवरी 2021 से ही गृह मंत्री अनिल देशमुख उन्हें कोई सूचना दिए बिना ही क्राइम इंटेलिजेंस ब्यूरो में रहे विवादित पुलिस अधिकारी (अब निलंबित) सचिन वाजे और सोशल सर्विस ब्रांच में ACP संजय पाटिल जैसे उनके जूनियर अधिकारियों के साथ बैठक कर मुंबई के विभिन्न प्रतिष्ठानों से 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह वसूली का टारगेट दे रहे थे।
उन्होंने बताया है कि अगस्त 24/25, 2021 को इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने DGP को अनिल देशमुख द्वारा गलत तरीके से मनमाना ट्रांसफर-पोस्टिंग किए जाने की बात बताई, जिसके बाद DGP ने इस मामले को राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव के समक्ष उठाया। उन्होंने अनिल देशमुख पर कई मामलों में हस्तक्षेप कर के जाँच को मनमाना दिशा में मुड़वाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
परमबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि उनके मातहत अधिकारियों को बिना उनके सूचना के बुलाकर मनमाना निर्देश देना गृह मंत्री के रूप में पद का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में इस तरह से ट्रांसफर-पोस्टिंग और जाँच में हस्तक्षेप को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और सरकार के वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में ये बातें पहले ही ला चुके हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि एकपक्षीय और अवैध तरीके से उनका ट्रांसफर कर दिया गया, जबकि उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर के रूप में 2 वर्ष का तय न्यूनतम कार्यकाल पूरा भी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में उनका ट्रांसफर दुर्भावना से लिप्त फैसला था। उन्होंने इसे असंवैधानिक के साथ-साथ इंडियन पुलिस सर्विस (काडर) नियमों का भी उल्लंघन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट के ही एक फैसले का जिक्र किया।
BREAKING: Param Bir Singh moves Supreme Court seeking CBI probe into alleged malpractice by Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh
— Bar & Bench (@barandbench) March 22, 2021
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उस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवेदनशील पद और कार्यावधि में किसी अधिकारी के ट्रांसफर के पीछे अच्छे कारण होने चाहिए और इस पर गंभीर विचार-विमर्श के बाद ही फैसला होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने अनिल देशमुख के करतूतों की जाँच के साथ-साथ अपने ट्रांसफर के फैसले पर रोक लगाने का आदेश जारी करने का निवेदन भी सुप्रीम कोर्ट से किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि देशमुख उनके खिलाफ बदले की भावना से कोई कदम उठा सकते हैं, जिससे उन्हें बचाया जाए।
उधर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में NCP के मुखिया शरद पवार ने अपने मंत्री की ‘बेगुनाही’ का सर्टिफिकेट देते हुए देशमुख के फरवरी 2021 में अस्पताल में भर्ती होने, क्वारंटीन रहने जैसे दावे किए। लेकिन, इन दावों पर जब सवाल उठे तो वे जवाब नहीं दे पाए। 15 फरवरी को अनिल देशमुख एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस दौरान कॉन्ग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था।