पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने हाल ही में गायों के चर्म को हिन्दुओं के त्योहार रक्षाबंधन से जोड़ने की नीचता दिखाई थी। इस षड्यंत्र के नाकामयाब होने के बाद अब अपनी फजीहत छुपाने के लिए बकरीद से पहले जानवरों की हत्या रोकने के लिए ट्विटर पर अभियान चलाया है।
PETA इंडिया के ब्लॉग के अनुसार, संगठन ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों को पत्र लिखकर, बकायदा ईद तक अवैध परिवहन और जानवरों की हत्या को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया है। पत्र में जानवरों की बलि के बारे में दो बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
यह कदम निश्चित रूप से इस्लामिक विचारधारा वालों को खुश करने और हाल ही में अपने कारनामों से खोई हुई विश्वसनीयता को फिर से बनाने के लिए किया गया प्रयास मात्र है। दरअसल, कुछ ही दिन पहले PETA ने रक्षाबंधन पर अभियान शुरू किया, जिसमें लोगों से आग्रह किया गया था कि वो गाय के चमड़े की राखी ना पहनें।
हालाँकि, PETA ने अभी भी समुदाय विशेष को माँस छोड़ने के लिए स्पष्ट आग्रह करने की हिम्मत नहीं दिखाई है। जबकि हिंदुओं के विषय में यही PETA अपने त्योहारों को मनाने के तरीके बताता रहता है। अब बकरीद पर अपने नए कैम्पेन में वह ‘अवैध’ परिवहन और हत्या को रोकने के लिए कह रहे हैं।
PETA के इस अस्पष्ट संदेश से साफ़ झलकता है कि उसमें अभी भी इतनी हिम्मत नहीं है कि वह समुदाय विशेष के समक्ष अपने पशु-प्रेम के संदेश को स्पष्ट रूप से रख सके और वह समुदाय विशेष से जानवरों को मारने से रोकने के लिए कह सके।
PETA इंडिया के इस भय पर शेफाली वैद्य, जिन्हें कि हाल ही में PETA द्वारा सिर्फ इस वजह से निशाना बनाया गया था क्योंकि उन्होंने PETA के पूर्वग्रहों को उजागर किया था, ने ट्विटर पर लिखा है कि PETA ‘पुलिस’ की मदद माँग रही है, लेकिन वह अभी तक इतना साहस नहीं जुटा पाया है कि मुस्लिमों से यह स्पष्ट तौर पर कह सके कि इस ईद पर बकरियों की रक्षा करें।
उल्लेखनीय है कि PETA इंडिया पिछले सप्ताह भर हिन्दू धर्म और त्योहारों पर अपने ‘पशु-प्रेम’ को लेकर चर्चा में बना रहा, जिस कारण उसकी खूब फजीहत भी हुई। हिन्दूफोबिक संस्था PETA ने गाय के चित्र वाले उस बैनर से लोगों का ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें रक्षाबंधन के दौरान राखी में चमड़े का उपयोग न करने की सलाह दी गई थी।
इसके बाद विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि PETA को यह तक पता नहीं कि रक्षाबंधन में चमड़े का उपयोग नहीं होता है। लोगों ने तो PETA इंडिया से बकरीद पर भी ऐसी ही एक अपील की बात कह कर अपना आक्रोश व्यक्त किया, जिस पर PETA ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को बेहद घटिया जवाब देकर अपनी संस्था की मंशा को उजागर किया था।
इस विषय पर जब ऑपइंडिया ने PETA इंडिया के इस अभियान की कोऑर्डिनेटर राधिका सूर्यवंशी से सवाल किए तो उन्होंने कहा, “रक्षा बंधन हमारी बहनों की रक्षा का समय है, और गाय हमारी बहनें हैं। हमारी तरह, वे भी रक्त, मांस और हड्डी से बनी हैं और जीना चाहती हैं। हमारा विचार प्रतिदिन गायों की रक्षा करने का है और रक्षा बंधन एक बहुत ही अच्छा दिन है। जिसमें हम आजीवन चमड़े से मुक्त रहने का संकल्प ले सकते है।”
लेकिन, जब सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी समूहों के विरोध के बाद PETA का हिन्दूविरोधी चरित्र सामने आया तो PETA ने बिना किसी बयान और सूचना के यह लेख अब अपनी वेबसाइट से हटा दिया है।
PETA ने रक्षाबंधन पर अपने हिन्दू-विरोधी बैनर के कारण विवादों पर सवाल पूछने वालों को निशाना बनाने का भी प्रयास किया था। शेफाली वैद्य ने PETA से सवाल पूछा था कि ईद के मौके पर कोई ‘एनिमल एक्टिविस्ट’ सेलेब्रिटी ये क्यों नहीं कहता कि आप अपने इगो का त्याग करें, जानवरों को न मारें।
PETA ने माँगी ‘ग़लतफ़हमी’ के लिए माफ़ी
राखी में गाय का माँस इस्तेमाल होने के दुष्प्रचार को फैलाने पर PETA के खिलाफ सोशल मीडिया पर हो रहे व्यापक विरोध का नतीजा यह रहा है कि अब PETA ने आखिरकार अपनी गलती स्वीकार कर गाय और रक्षाबंधन से जुड़े अपने भ्रामक विज्ञापनों को हटाने और उन्हें बदलने की बात कही है। साथ ही, PETA ने कहा है कि वह ‘गलतफहमी’ के लिए माफ़ी माँगता है।
PETA की करतूत पर ऑपइंडिया से शैफाली वैद्य की बातचीत
ऑपइंडिया के साथ शेफाली वैद्य की बातचीत में उन्होंने कहा कि PETA को गाय और रक्षाबंधन में सम्बन्ध बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि राखियाँ गाय के चमड़े से बनती ही नहीं हैं। इसके साथ ही शेफाली वैद्य ने कहा कि हिन्दुओं के खिलाफ एक बेबुनियाद कैम्पेन चलाने वाले PETA को वास्तविक तथ्यों पर संज्ञान लेते हुए मुस्लिमों से इस ईद पर बकरी की सुरक्षा करने वाले अभियान चलाने चाहिए। लेकिन PETA ऐसा करने से बच रहा है।
उन्होंने कहा कि PETA इंडिया उनके चैलेंज पर काम करने के बजाए उन्हें ट्रोल करना बेहतर समझा। शेफाली ने PETA पर हिन्दू संस्कृति से जुड़े त्योहारों पर अभियान चलाने के प्रयास किए हैं, जबकि ईद के मौके पर बकरियों के लिए बेहद सावधानी से ‘अवैध’ शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ऑपइंडिया सम्पादक अजीत भारती के साथ शेफाली वैद्य के साथ बातचीत इस यूट्यूब लिंक पर देख सकते हैं –