पशु अधिकारों के लिए संघर्ष करने का दावा करने वाली अंतररष्ट्रीय संस्था PETA का दोहरा रवैया फिर से सामने आया है। हिन्दू घृणा के लिए कुख्यात PETA ने इस बार शेफाली वैद्य को निशाना बनाया और उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से साँप तक बता दिया।
दरअसल, PETA रक्षाबंधन पर अपने हिन्दू-विरोधी बैनर के कारण विवादों में है और सवाल पूछने वालों को हड़काने में लगा हुआ है।
शेफाली वैद्य ने सवाल पूछा था कि ईद के मौके पर कोई ‘एनिमल एक्टिविस्ट’ सेलेब्रिटी ये क्यों नहीं कहता कि आप अपने इगो का त्याग करें, जानवरों को न मारें। इस पर PETA इंडिया ने जवाब दिया कि शेफाली वैद्य कभी ये नहीं कहेंगी कि वो शाकाहारी हैं, क्योंकि वो माँस खाती हैं। उसने सलाह दी कि शेफाली एक उदाहरण पेश करें और कोंकणी हो या मुस्लिम, सभी प्रकार के लोगों को शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित करें।
PETA ने शेफाली वैद्य का मार्च का एक ट्वीट खोज कर निकाला, जिसमें उन्होंने बताया था कि वो चिकन और मछली खाती हैं। इस पर PETA ने कहा कि ये ट्वीट शेफाली को एक्सपोज करता है क्योंकि वो खुद तो माँसाहारी हैं और मुस्लिमों से अपेक्षा रखती हैं कि वो शाकाहारी हो जाएँ। PETA ने पूछा कि जिन बकरों और मुर्गों को आप खाती होंगी, उनके साथ क्या होता होगा? साथ ही सलाह दी कि शेफाली खुद से शुरुआत करें और शाकाहारी बनें।
इसके बाद शेफाली वैद्य ने PETA को ललकारा और पूछा कि क्या उसे ईद के समय जानवरों की हत्या के विरोध में बैनर लगाने की हिम्मत है? उन्होंने कहा कि जिस दिन PETA इंडिया ऐसा कर देगा, वो अपनी कोंकणी जड़ों को भूलते हुए शाकाहारी बन जाएँगी और PETA को डोनेशन भी देंगी। इस पर PETA ने जवाब दिया कि वो पहले से ही इसे लेकर कई शहरों में अभियान चला रहा है।
You miss the point. Go vegan for the ANIMALS Shefali. Not for PETA India, for “challenges”, or for anything else. Live by example, others will follow. You can put any billboard up yourself. Our campaign has already been up in cities all month: https://t.co/nPI7t9M2rZ. You’re late
— PETA India (@PetaIndia) July 18, 2020
PETA ने शेफाली वैद्य को कहा कि वो किसी ‘चुनौती’ या किसी संस्था के लिए नहीं बल्कि जीवों की रक्षा के लिए शाकाहारी बनें। साथ ही उसने ये भी कहा कि शेफाली ऐसा कोई बैनर खुद से भी लगा सकती हैं, बाद में अन्य लोग भी इसका अनुसरण करेंगे। इसके बाद शेफाली वैद्य ने तगड़ा जवाब देते हुए PETA से पूछा कि क्या वो मुस्लिमों को शाकाहारी बनने तभी कहेगा, जब वो माँस वगैरह खाना बंद कर देंगी?
शेफाली वैद्य ने कहा कि उन्हें भी नहीं पता था कि वो PETA के लिए इतनी ज्यादा मायने रखती हैं। शेफाली के अलावा विजयंत जय पांडा ने भी संस्था पर इस दोहरे रवैये को लेकर निशाना साधा और कहा कि आखिर रक्षाबंधन में कौन लेदर की राखी पहनता है? PETA का जवाब था कि उसने बस इतना कहा है कि रक्षाबंधन एक सही दिन है, जब हम सभी ‘लेदर फ्री’ का संकल्प लें। उसने बात घुमाना शुरू कर दिया।
.@PetaIndia : Snakes are not belts, bags and shoes.
— LolmLol (@LOLiyapa) July 19, 2020
Also @PetaIndia : Award for person of the year goes to @sonamakapoor ( who promotes bag made from 100% snake skin). pic.twitter.com/jjQtBTIE7g
लेकिन, असली विवाद शुरू हुआ PETA द्वारा साँपों की चर्चा करने से। उसने कहा कि वो साँपों की भी मदद करता है, क्योंकि वो बैग, बेल्ट और जूते नहीं हैं, जीव हैं। उसने कहा कि वो भी सजीव हैं, शेफाली की तरह। इस पर एक ट्विटर यूजर ‘LolmLol’ ने PETA के दोहरे रवैये की तरफ सबका ध्यान दिलाया। उसने याद दिलाया कि PETA ने सोनम कपूर में ‘People For Ethnic Treatment Of Animals’ का अवॉर्ड दिया था।
दरअसल, सोनम कपूर S’uvimol के बैग्स का प्रमोशन करती हैं। उक्त ट्विटर यूजर ने इस कम्पनी के प्रोडक्ट के बारे में स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें बताया गया था कि वो ‘100% शुद्ध Exotic Skins’ से बना हुआ है, अर्थात इसके लिए जानवरों को मार कर उनके चमड़े का प्रयोग किया गया है। क्या PETA चमड़े से बने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने वाली सोनम को अवॉर्ड देकर ‘लेदर फ्री’ का अभियान चला रहा है?
ऑपइंडिया ने इस सम्बन्ध में शेफाली वैद्य से बातचीत की। उन्होंने बताया कि PETA ने पिछले 48 घंटों मे सारा का सारा ध्यान उन्हें ट्रोल करने में लगाया है और इसके सिवा कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि एक अंतरराष्ट्रीय संस्था एक महिला को निशाना बनाने में अपनी सारी ऊर्जा खर्च कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि PETA एक ट्रोल के सिवा कुछ नहीं है। शेफाली ने कहा कि जैसे सोशल मीडिया पर फेसलेस ट्रोलस घूमते रहते हैं, वैसा ही कुछ PETA भी कर रहा है।
शेफाली वैद्य ने इस दौरान PETA को दी गई चुनौती पर भी बात की, जिसमें उन्होंने ईद पर उसके द्वारा बैनर लगाने पर शाकाहारी बन जाने की बात कही थी। शेफाली ने कहा कि उनकी चुनौती का जवाब देने कि बजाए PETA दुनिया भर की बातें कर रहा है और ट्रोलिंग में लगा हुआ है। शेफाली वैद्य का सवाल था कि आखिर 2 दिन से एक इंटरनेशनल इन्स्टिट्यूशन एक प्राइवेट इन्डविजूअल को निशान बनाने में क्यों लगा हुआ है?
बता दें कि हाल ही में PETA ने गाय के चित्र वाले उस बैनर से लोगों का ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें रक्षाबंधन के दौरान राखी में चमड़े का उपयोग न करने की सलाह दी गई है। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि PETA को यह तक पता नहीं कि रक्षाबंधन में चमड़े का उपयोग नहीं होता है। लोगों ने तो PETA इंडिया से बकरीद पर भी ऐसी ही एक अपील की बात कह कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
Awww @PetaIndia she’s so kind to Cows. pic.twitter.com/OhmTKys1eU
— Mikku (@effucktivehumor) July 19, 2020
इसी तरह PETA इंडिया ने अभिनेत्री ऋचा चड्ढा की भी तारीफ करते हुए कहा था कि वो जानवरों को लेकर काफी दयालु हैं, इसीलिए हम सब उनसे प्यार करते हैं। जबकि ऋचा चड्ढा ने बयान दिया था कि गोमाँस को प्रतिबंधित करना सांप्रदायिक राजनीति है। ख़ुद को शाकाहारी बताने वाली चड्ढा इस तरह का बयान देती हैं और PETA उन पर वारे-न्यारे हो जाता है, जो फिर से उसके दोहरे रवैये का प्रदर्शक है।