Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाज'गरीब हर वर्ग में, फिर लाभ एक ही तबके को क्यों?' EWS आरक्षण के...

‘गरीब हर वर्ग में, फिर लाभ एक ही तबके को क्यों?’ EWS आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, केंद्र सरकार से 6 हफ़्तों में माँगा जवाब

यह याचिका 'एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एन्ड सोशल जस्टिस' नामक संस्था की तरफ से दायर की गई है। याचिका में सिर्फ सामान्य वर्ग को EWS का लाभ देना अनुचित बताया गया है।

सामान्य वर्ग को मिलने वाले EWS आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में इस रिजर्वेशन को असंवैधानिक बताया गया है। इस याचिका में कहा गया है कि अगर गरीब हर वर्ग में हैं तो इसका लाभ केवल सामान्य तबके को ही क्यों मिल रहा है। इस याचिका पर हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। नोटिस में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह याचिका ‘एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एन्ड सोशल जस्टिस’ नामक संस्था की तरफ से दायर की गई है। याचिका में सिर्फ सामान्य वर्ग को EWS का लाभ देना अनुचित बताया गया है। याचिका दायर करने वालों की तरफ से एडवोकेट रामेश्वर पी सिंह और विनायक शाह पेश हुए हैं। इन्होने बताया कि 17 जनवरी 2019 को भारत सरकार द्वारा आरक्षण का EWS कोटा लागू करना संवैधानिकता को चुनौती जैसा है। दोनों वकीलों ने ईडब्ल्यूएस पॉलिसी को संविधान के अनुच्छेद 15 (6), 16 (6) के तहत असंगत बताया है।

याचिकाकर्ताओं ने इसके अलावा कई अन्य तर्क पेश किए हैं। इसमें ओबीसी, एससी-एसटी को इस लाभ से वंचित किया जाना अनुच्छेद-14 के विरुद्ध और EWS कोटा स्पेशल रिजर्वेशन होना बताते हुए इसकी वैधानिकता पर सवाल खड़े किए गए हैं। अधिवक्ताओं ने EWS को गरीबों के साथ भेदभाव करने वाली योजना करार दिया है। इसी के साथ आवेदकों का यह भी दावा है कि 103वे संविधान के संशोधन में प्रत्येक वर्ग के गरीबों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने की। प्रारम्भिक तर्कों को सुन कर खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने के लिए छह हफ्ते का समय दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था EWS आरक्षण

बताते चलें कि इस से पहले भी EWS आरक्षण की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। तब नवंबर 2022 में आए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण बरकरार रखा था। तब 5 जजों की खंडपीठ ने 3:2 से इस कोटे के समर्थन में फैसला सुनाया था। हालाँकि कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने तब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जातिवादी करार दिया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -