केरल हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर करके दूसरे धर्म के लोगों को कोचीन देवस्वोम बोर्ड (CDB) के अंतर्गत आने वाले मंदिरों या उसके परिसरों में प्रवेश की अनुमति नहीं देने का निर्देश देने की माँग की गई है। इसके बाद अदालत ने कोचीन देवस्वोम बोर्ड को दो सप्ताह में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अनिल के. नरेन्द्रन और न्यायमूर्ति पीजी अजीत कुमार की खंडपीठ ने की। दरअसल, यह याचिका त्रिपुनिथुरा स्थित भगवान पूर्णात्रेयसा मंदिर के भक्तों द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का है कि ‘पूजा, समारोह, अनुष्ठान या आगम प्रणाली की पवित्र प्रकृति के प्रति कम सम्मान रखने वाले’ गैर-आस्तिक लोग इस मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने मंदिर में मलयालम फिल्म ‘विशेषम’ की शूटिंग की ओर खासतौर पर ध्यान दिलाया। उन्होंने आरोप लगाया गया कि फिल्म की अधिकांश टीम गैर-हिंदू थी और इसे धार्मिक अनुष्ठानों एवं समारोहों की अनदेखी करके शूट किया गया था। इसके कारण भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुँची। इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
इस याचिका में आगे कहा गया है कि इस फिल्म में दिखाए गए एक दृश्य में मंदिर में एक जोड़े की शादी होती है और दुल्हन को अपने प्रेमी के साथ भागते हुए दिखाया जाता है। इसके कारण मंदिर में हंगामा हो जाता है। आगे तर्क दिया गया है कि मंदिर में व्यावसायिक फिल्म की शूटिंग करना केरल हिंदू सार्वजनिक पूजा स्थल (प्रवेश प्राधिकरण) नियम 1965 के प्रावधानों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि प्रतिबंधों के बावजूद गुरुवायुर मंदिर सहित अन्य मंदिर परिसरों में कई फिल्मों की शूटिंग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहना है कि इस तरह की गतिविधियाँ मंदिरों में मर्यादा और धार्मिक माहौल को बिगाड़ती हैं। इसके कारण भक्तों में नाराजगी बढ़ती है।
याचिका में मंदिर के अंदर नशे में धुत व्यक्तियों और जूते पहने हुए लोगों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित करने तथा मंदिर के अंदर वीडियो या व्यावसायिक फिल्मों की शूटिंग पर रोक लगाने की माँग की है। याचिकाकर्ता ने CDB के अंतर्गत आने वाले मंदिरों के गेट पर बोर्ड लगाने की माँग की है, ताकि मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त मंदिर के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन करे।