शुक्रवार (23 अप्रैल 2021) को हुई बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह कुछ राज्यों से बात करें और दिल्ली की ऑक्सीजन की समस्या हल करवाएँ।
हालाँकि, अरविंद केजरीवाल की आपदा में भी राजनीति करने की प्रवृत्ति के बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड से दिसंबर 2020 में ही केजरीवाल सरकार को ऑक्सीजन के लिए राशि मुहैया कराई थी। केंद्र सरकार द्वारा यह राशि दिल्ली में 8 PSA (Pressure Swing Absorption) ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए दी गई थी लेकिन केजरीवाल सरकार ने अब तक मात्र एक ऐसा ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले पर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई है और कहा है कि सरकार के कुप्रशासन और अक्षमता के कारण आज राजधानी में ऑक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ है। न्यायालय ने सरकार से यह प्रश्न भी किया है कि केंद्र सरकार द्वारा फंड दिए जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार अब तक मात्र एक PSA ऑक्सीजन प्लांट क्यों स्थापित कर पाई है?
Delhi High Court in its order asks Kejriwal govt-when Central govt had sanctioned funds in Dec. 2020 to set up 8 Pressure Swing Absorption(PSA) Plants for production of oxygen, why only one has become operational till date.
— Monika Arora (@advmonikaarora) April 23, 2021
As usual, Delhi Govt had no answers. pic.twitter.com/1b60NRWTee
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार के अधिकारी निपुण विनायक ने बताया कि दिल्ली में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज एवं सफ़दरगंज अस्पताल में अभी तक PSA ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना हेतु साइट क्लियरेन्स नहीं दिया गया है। दो अस्पतालों में साइट क्लियरेन्स का काम पूरा हो गया है जहाँ 30 अप्रैल तक ऑक्सीजन संयंत्र के उपकरण स्थापित कर दिए जाएँगे।
न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि राज्य के बाकी अस्पताल भी केंद्र की योजनाओं के साथ सामंजस्य बैठाकर कार्य करें और अगली सुनवाई में इसकी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी जाए। न्यायालय ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार को प्रतिदिन के हिसाब से ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थिति का आकलन करना चाहिए जिससे बेहतर तरीके से ऑक्सीजन की समस्या को सुलझाया जा सके।
पटपड़गंज का मैक्स अस्पताल ऑक्सीजन की भारी कमी को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय पहुँच गया था जिस पर न्यायालय ने तत्काल सुनवाई की थी। न्यायालय ने केंद्र को कहा था कि चाहे भीख माँगनी पड़े या चोरी करनी पड़ जाए लेकिन चिकित्सा उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जानी चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा था कि यदि उद्योगों से ऑक्सीजन खरीदने से वो उद्योग बंद होते हैं तो उन्हें बंद हो जाने दीजिए लेकिन लोगों की जान ज्यादा कीमती है।
प्रधानमंत्री के साथ बैठक में अरविंद केजरीवाल का झूठ :
एक ओर जहाँ दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से लगातार जूझ रहे हैं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऑक्सीजन की कमी का रोना रो रहे हैं, वहाँ यह खबर आ रही है कि शुक्रवार की बैठक से पहले उन्होंने केंद्र से कभी ऑक्सीजन के मसले पर बात ही नहीं की। प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में केजरीवाल ने भारतीय रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस का मुद्दा उठाया लेकिन भारतीय रेलवे ने भी यह बयान जारी किया है कि दिल्ली सरकार ने फिलहाल इस मुद्दे पर उनसे कोई भी चर्चा नहीं की है।
रेलवे के द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि महाराष्ट्र की सरकार ने 15 अप्रैल को रेल मंत्रालय से रेल के द्वारा लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के परिवहन की संभावनाओं पर चर्चा की थी जिस पर विचार करते हुए रेलवे ने एक विस्तृत प्लान तैयार किया और 19 अप्रैल को पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस विशाखापट्टनम से मुंबई के लिए रवाना हुई।
ऑक्सीजन के टैंकरों को उतारने और चढ़ाने के लिए रेलवे ने मात्र 24 घंटों में रैम्प का निर्माण करवाया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस के इस सफल परिचालन के बाद अन्य राज्यों ने भी ऑक्सीजन एक्सप्रेस के द्वारा ऑक्सीजन के परिवहन में रुचि दिखाई है जिनमें आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल है लेकिन रेलवे ने दिल्ली के द्वारा ऐसी किसी भी माँग की जानकारी नहीं दी है।