प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (23 नवंबर 2023) को कृष्ण भक्त मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव पर आयोजित ब्रज रज महोत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने लोगों को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त संत मीराबाई का जीवन सभी के लिए प्रेरणा-शक्ति है। पीएम ने कहा कि मथुरा की पावन धरा पर संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती के उत्सव में शामिल होना सौभाग्य की बात है।
ब्रज रज में शामिल होकर पीएम ने कहा, “मेरा सौभाग्य है कि मुझे ब्रज का दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। यहाँ वही आता है, जिसे श्रीकृष्ण और श्रीजी बुलाते हैं। यह कोई साधारण धरती नहीं है। ब्रज लालजी और लाडली जी की प्रेम का साक्षात अवतार है। ये ब्रज ही है, जिसका रज भी पूरे संसार में पूजनीय है। इसके रज-रज में राधा रानी और कण-कण में श्रीकृष्ण समाए हुए हैं।”
भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त संत मीराबाई का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणाशक्ति है। मथुरा की पावन धरा पर संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती के उत्सव में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है! https://t.co/KYhXHoMyoT
— Narendra Modi (@narendramodi) November 23, 2023
मीराबाई के चरणों में भी नमन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “भगवान कृष्ण से लेकर मीराबाई तक ब्रज का गुजरात से एक अलग ही रिश्ता रहा है। ये मथुरा के कान्हा गुजरात जाकर ही द्वारकाधीश बने थे। राजस्थान से आकर मथुरा में प्रेम की धारा बहाने वाली मीरा जी भी अपना अंतिम समय द्वारका में ही बिताया था। मुझे तो माँ गंगा बुलाया और भगवान कृष्ण की कृपा से 2014 से ही आपके बीत आकर बच गया।”
पीएम मोदी आगे बोले, “मीराबाई का जन्मोत्सव नर और नारायण में, जीव और शिव में, भक्त और भगवान में अभेद मानने वाले विचार का भी उत्सव है। मीराबाई राजस्थान की उस वीरभूमि में जन्मी थीं, जिसने देश के सम्मान और संस्कृति के लिए असीम बलिदान दिए। मीराबाई ने भक्ति और आध्यात्म की भक्ति धारा को बहाकर चेतना को सींचा था।”
राजस्थान के बलिदान को याद करते हुए पीएम ने कहा, “यह महोत्सव मीराबाई के प्रेम परंपरा और पराक्रम की भी याद दिलाता है। उस समय मीराबाई के परिवार और राजस्थान ने अपना सब कुछ झोंक दिया था। हमारी आस्था की केंद्रों की रक्षा के लिए ये लोग दिवार बनकर खड़ा रहे, ताकि भारत की आत्मा को, भारत की चेतना को सुरक्षित रखा जा सके। यह महोत्सव प्रेम परंपरा के साथ शौर्य की परंपरा की भी याद दिलाता है।”
उन्होंने भारत को नारी-शक्ति का पूजन करने देश बताया। कृष्ण के पहले भी जब राधा का नाम लगता है, तभी उनका नाम पूरा होता है। मीराबाई का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि इस धरती और आसमान के बीच जो कुछ दिखाई देता है, उसका अंत निश्चित है। पीएम ने कहा कि भारत के मुश्किल समय ने मीराबाई ने समाज को रास्ता दिखाया और संत रविदास को अपना गुरु माना। मीराबाई मध्य काल की एक महान महिला के अलावा एक महान समाज सुधारक रही हैं।
मीराबाई को देश का प्रकाशपूंज बताते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने समाज की रूढ़ियों से मुक्त होने की दृढ़ता दिखाई। भारत की चेतना पर जब-जब प्रहार हुआ, तब-तब भारत के किसी ना किसी कोने में एक प्रकाशपूंज पैदा हुआ और समाज को रास्ता दिखाया। कोई योद्धा बना तो कोई संत बना। इन्होंने भारत को गढ़ा। बता दें कि मीराबाई राजस्थान की एक राजकुमारी थीं और मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ उनकी शादी हुई थी। वह कृष्ण भक्ति के लिए विख्यात हैं।
मथुरा में मीराबाई की स्मृति में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक डाक टिकट और 525 रुपए का एक खास स्मारक सिक्का भी जारी किया। 525 रुपए की मूल्य का यह पहला सिक्का है। इस खास सिक्के का कुल वजन 35 ग्राम है। इसमें 50 प्रतिशत चाँदी, 40 प्रतिशत ताँबा और 10 प्रतिशत जस्ता का मिश्रण है। इस सिक्के के एक तरफ अशोक स्तम्भ बना है, जिसके नीचे ₹525 लिखा है।
सिक्के के दूसरी तरफ मीराबाई का चित्र है। इस चित्र के ऊपर हिंदी में और नीचे अंग्रेजी में ‘संत मीराबाई की 525वीं जयंती’ लिखा है। मीराबाई चित्र के दाईं ओर 1498 और बाईं ओर 2023 लिखा है। पीएम को मीराबाई पर आधारित करीब पाँच मिनट की डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। बता दें कि मीराबाई को भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई भजनों, छंदों और ग्रंथों की रचना की है।
इससे पहले पीएम मोदी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर जाकर गर्भगृह में पूजा-अर्चना और दर्शन की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रही। जगह-जगह पुलिस फोर्स तैनात है और सादे कपड़ों में खुफिया तंत्र निगाह बनाए हुए हैं। आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। परिसर में चारों तरफ एवं शाही ईदगाह मस्जिद क्षेत्र में भी पुलिस अलर्ट रही।