दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के मामले पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में कुछ भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाने की माँग पर जनहित याचिकाएँ डाली गई थीं। इन्हीं याचिकाओं पर दिल्ली पुलिस ने हलफनामे के रूप में कोर्ट को अपना जवाब सौंपा है। जिसके बाद भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, अभय वर्मा और प्रवेश वर्मा को बड़ी राहत मिली।
इस हलफनामे में कहा गया कि दिल्ली पुलिस को अपनी पड़ताल में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित हो कि इन नेताओं ने दंगा भड़काने में अपनी कोई भूमिका निभाई। इसके अलावा पुलिस ने इस हलफनामे में यह भी कहा कि उनकी जाँच में अभी तक किसी पुलिस अधिकारी की भूमिका भी सामने नहीं आई है।
हलफनामे में पुलिस ने कहा, “उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े उपरोक्त सभी मामलों में अभी तक की जाँच में ऐसा कोई योग्य सबूत नहीं पाया गया है जो इन याचिकाओं में उल्लेखित लोगों की दंगा भड़काने या उसमें हिस्सा लेने की उनकी भूमिका की तरफ संकेत करता है।”
हलफनामे में कहा गया कि दिल्ली पुलिस इन नेताओं के भाषणों की पड़ताल कर रही हैं। अगर दंगों से जुड़े किसी भी नेक्सस का खुलासा इसके पीछे होता है तो समय रहते इस मामले पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा ये भी लिखा है कि अगर ऐसे कोई सबूत मिलते हैं जिनका संबंध आपत्तिजनक भाषण या फिर दंगों के दौरान अपराध करने से संबधित हो, तो इस मामले में फौरन कार्रवाई की जाएगी और उक्त व्यक्तियों को अभियुक्त के तौर पर पेश किया जाएगा।
पुलिस ने एक जनहित याचिका, जिसमें पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर जाँच के लिए माँग की गई थी। उसपर जवाब देते हुए हलफनामे में दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि अब तक मामले की जाँच में पुलिस अधिकारियों की संलिप्ता के सबूत भी नहीं मिले हैं। यदि, आगे ऐसा कोई मामला मिलता है, तो उपयुक्त कार्रवाई होगी।
कोर्ट के समक्ष हलफनामे को दायर करने के साथ ही दिल्ली पुलिस ने इन जनहित याचिकाओं को खारिज करने की माँग भी की। उन्होंने याचिकाकर्ताओं की मंशा पर सवाल उठाया और कहा कि जनहित याचिका डालने वालों ने अपना एजेंडा चलाने के लिए चुनिंदा भाषण लिए। जबकि अन्य हिंसा भड़काने वाले भाषणों को दरकिनार कर दिया। इससे मालूम चलता है कि ऐसी याचिका डालने वालों की मंशा सच्ची नहीं बल्कि प्रेरित थी।
गौरतलब है कि गत फरवरी माह में हुए दंगों के मद्देनजर भाजपा, कॉन्ग्रेस और आप के कई नेताओं पर हेटस्पीच देने के आरोप में एफआईआर की माँग हुई थी। अलग-अलग जनहित याचिकाओं में भी इन नेताओं को हेटस्पीच देने का आरोपित बताया गया था।
इस मामले में भाजपा के प्रवेश वर्मा, अभय वर्मा, अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा पर कार्रवाई की बात हुई थी। जबकि एक अन्य अर्जी में राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी समेत कई कॉन्ग्रेसी नेताओं पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था। इसके बाद आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया और अमानतुल्लाह खाँ जैसे नेताओं पर नफरत फैलाने का आरोप लगा था।