भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में पुणे पुलिस और नोएडा पुलिस की संयुक्त टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी सिंह के नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी की। यह छापेमारी प्रोफेसर सिंह के नक्सलियों से सम्बन्ध को लेकर की गई। भीमा कोरेगाँव मामले में कई अर्बन नक्सल पहले से ही जेल में बंद हैं। 2018 में भड़की हिंसा के पीछे इन्हीं अर्बन नक्सलियों का हाथ सामने आ रहा है।
हनी बाबू डीयू के प्रोफ़ेसर हैं और ‘द कमिटी ऑफ सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स’ के सदस्य हैं। इस कमिटी का गठन जीएन साईबाबा द्वारा किया गया था। डीयू प्रोफ़ेसर साईबाबा को 2017 में महाराष्ट्र की एक अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। साईबाबा के प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई से सम्बन्ध सामने आए थे।
इस मामले में वकील सुधा भारद्वाज, कथित सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, पी वरावरा राव, अरुण फरेरा और ख़ुद को पत्रकार कहने वाले गौतम नवलखा का नाम आरोपितों में शामिल है। अर्बन नक्सल सुरेंद्र गाडलिंग और सुधीर धावले ने एसआईटी के समक्ष बयान देने की बात कही थी लेकिन बाद में वे पलट गए और कहा कि इससे ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले पर प्रभाव पड़ेगा। इसके बाद एसआईटी के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस जय नारायण पटेल ने दोनों को वापस पुणे स्थित यरवदा जेल में भेजने का आदेश दिया।
#Pune police have conducted search operation at the house of Hany Babu in Noida in connection with Elgaar Parishad (Bhima Koregaon) case. Hany Babu is a professor at DU and member of ‘The Committee of Civil Rights Activists’ formed by G N Saibaba.#Maharashtra @PuneCityPolice
— Ali shaikh (@alishaikh3310) September 10, 2019
वेरनॉन गोंजाल्विस के घर से कई आपत्तिजनक पुस्तकें बरामद की गई थीं, जिसके बाद कोर्ट ने उनसे पूछा था कि ये पुस्तकें और सीडी उनके घर में क्या कर रही थीं? सुधा भारद्वाज ने भी उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी।