कोरोना वायरस के तेजी से फैलते संक्रमण के बीच लोगों में डर का माहौल बना हुआ है। ऐसे में इससे जुड़ी निराधार व झूठी खबरें सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही हैं। इसी कड़ी में सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैलाने के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने कल (30.4.20) एक शिकायत दर्ज की जिसमे यूसुफ अंसारी नामक पत्रकार पर जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर सोशल मीडिया पर झूठ खबर फैलाने का आरोप हैं। जिसके चलते पुलिस ने उसपर कार्रवाई शुरू कर दी है।
यूसुफ अंसारी ने salaamindianews.com नामक वेबसाइट में एक ‘रिपोर्ट‘ प्रकाशित किया था। जिसमें दावा किया गया था कि जिला प्रशासन कुछ घरों के बाहर पोस्टर लगा रहा है, जो उस घर में सदस्य (सदस्यों) की क्वारंटाइन स्थिति घोषित कर रहे हैं, साथ ही परिवार के सदस्यों के पास आने, बाहरी लोगों को घर में आने से बचने और उनसे किसी भी तरह से संपर्क बनाने की चेतावनी दे रहे हैं।
हालाँकि, यूसुफ अंसारी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रशासन का दूसरे मजहब वालों को पीड़ित करने के उद्देश्य से यह एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है, क्योंकि ऐसे पोस्टर केवल मजहब विशेष के घरों के बाहर लगाए गए हैं।
रिपोर्ट में, यूसुफ अंसारी ने आगे यह भी दावा किया कि जिला प्रशासन ऐसे घरों पर पोस्टर लगा रहा है, जहाँ संबंधित व्यक्तियों ने पहले ही अपने क़्वारन्टाइन पीरियड को पूरा कर लिया है। उन्होंने लिखा कि यह सरकार द्वारा समुदाय विशेष को अलग-थलग करने और बदनाम करने की कोशिश है। साथ ही एक वकील के नाम का भी हवाला दिया गया और लिखा कि इस तरह के पोस्टर ‘मानव अधिकारों का उल्लंघन’ हैं। यहाँ तक कि उन्होंने सरकार द्वारा दूसरे मजहब के क्वारंटाइन पोस्टरों को ‘उत्पीड़न’ भी कहा।
इन सभी दावों पर तेजी से कार्रवाई करते हुए, एसएसपी प्रयागराज ने सोशल मीडिया पर बताया कि यह दावे पूरी तरह से झूठे हैं और प्रयागराज पुलिस ने तथाकथित पत्रकार के खिलाफ झूठ फैलाने और सांप्रदायिक कलह को बढ़ावा देने की कोशिश करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
प्रयागराज के एसएसपी ने आगे बताया कि उक्त ’पत्रकार’ युसुफ अंसारी से अधिकारियों द्वारा उनके दावों के आधार के बारे में पूछताछ करने के लिए संपर्क किया गया था, जिसके बाद उन्होंने अपना फोन स्विच ऑफ कर दिया और कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि पुलिस ऐसे गैर-जिम्मेदार ‘पत्रकार’ को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इस तरह के पोस्टर सभी राज्यों में एक सामान्य घटना है, जहाँ स्थानीय प्रशासन ऐसे पोस्टर्स उन सभी के घरों के बाहर लगाता है। जिन्हें विदेश यात्रा के बाद या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद घर में ही क्वारंटाइन किया जाता है। क्वारंटाइन पोस्टर्स के तहत व्यक्तियों और क्वारंटाइन अवधि के विवरण को सूचित किया जाता हैं। क्योंकि आपस में दूरी बनाए रखने पर ही इस महामारी के संक्रमित होने से बचा जा सकता है।
इससे पहले भी TOI, NDTV के कई पत्रकारों ने झूठी खबर चला कर जनता में दर और सनसनी परोसनी चाही जिसे थोड़े ही देर में बेनकाब कर दिया गया है।